Mhuhavra sa bani kahani
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राम और श्याम दो मित्र थे। किसी समय दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते थे। मगर दोनों की आर्थिक स्थिति में जमीन-आसमान का फर्क था। राम के पिता एक बड़े व्यापारी थे और उनकी बदौलत राम बिना कुछ किए ही मालामाल हो गया।
कहावत है कि पैसा ही पैसे को खींचता है। राम ने भी जब पिता का व्यवसाय सँभाला तो उसकी संपत्ति दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ने लगी। वहीं दूसरी ओर श्याम के पिता अत्यंत गरीब थे। स्कूल से मिले वजीफे के सहारे श्याम ने जैसे-तैसे स्कूल की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के लिए श्याम को आकाश-पाताल एक करना पड़ा। मदद माँगने पर सभी रिश्ते नातेदारों ने उसे अँगूठा दिखा दिया।
एक बार मोहन घर से चंपत हो गया , और उसके दोस्तों ने जब पूछा गया तब सब ने मुंह नहीं खोला | सारे दोस्त बाते बनाने लगे गए | आस-पास के पड़ोसी नमक-मिर्च लगा कर बाते करने लग गए | और जितने मुंह, उतनी बातें होनी लग गई | मोहन का परिवार तितर-बितर हो गया | मोहन के पिता ने उसकी परवरिश में जी-जान से जुट लगा थी | मोहन का कुछ पता नहीं चला और उनकी हालत आसमान से जमीन पर गिरना जैसी हो गई | मोहन अपनी घर का मोर्चा सँभालना नहीं संभाल सका | मोहन ने अपने पैर में खुद कुल्हाड़ी मार दी | अब मोहन पड़ोस में किसी को शक्ल दिखाने लायक नहीं रहा | मोहन के माता-पिता ने इस दुःख को आँसू पीकर बर्दाश्त कर लिया | अब सब को मोहन एक आँख नहीं भाता| मोहन के माता-पिता अकेले की कमर टूट गई | सारे लोग मोहन के माता-पिता के बारे में कीचड़ उछालने लग गए |
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