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गद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि-
विद्यार्थी जीवन में व्यक्ति अनेक गुणों को धारण कर लेता है।
विद्यार्थी जीवन के लिए सुदर पाठशाला की आवश्यकता होती है।
कष्ट सहन करने से सेहत बनती है।
वृक्षों को सीचना पर्यावरण के लिए आवश्यक है।
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पाठांशम् पठत अधोदत्तान् प्रश्नान् च उत्तरत-(पाठांश पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।)
कस्मिश्चित् वने खरनखरः नाम सिंहः प्रतिवसति स्म। सः कदाचित् इतस्तत: परिभ्रमन् क्षुधार्तः न किञ्चिदपि आहारं प्राप्तवान्।
ततः सूर्यास्तसमये एकां महतीं गुहां दृष्ट्वा सः अचिन्तयत्-‘नूनम्। एतस्यां गुहायां रात्रौ कोऽपि जीवः आगच्छति।
अतः अत्रैव निगूढो भूत्वा तिष्ठामि" इति।
I. एकपदेन उत्तरत-(एक पद में उत्तर दीजिए-)
1. खरनखरः कः आसीत्? ………………………..
2. सः कुत्र वसति स्म? ………………………..
3. सः कीदृशः इतः ततः अभ्रमत्? ………………………..
4. सः कदा गुहाम् अपश्यत्? ………………………..
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