Mithaiwala story summary in hindi
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An baar so sheher main ek khilonewala aaya.Wo her sman bohot hi saste daam
main bech deta tha.Kuch mahino ke baad wo vyakti murli bechne laga.Bacche usse dekhker ohot khush ho jaate.Per unke. maa baap akser sochte ki he vyaķti aisa kyu ķarta hai. Ek baar wo vyakti mithayi bechne aaya. Ek mahila ķe poochñe per usne btaya ki uska poora parivaar ek haadse main khatam ho gya the.Isiliye bacchon ki passed up cheezein galiyin main bechta phirta hai.Sab bacchon main apne main apne bacchon ko dhondta phirta hai.
main bech deta tha.Kuch mahino ke baad wo vyakti murli bechne laga.Bacche usse dekhker ohot khush ho jaate.Per unke. maa baap akser sochte ki he vyaķti aisa kyu ķarta hai. Ek baar wo vyakti mithayi bechne aaya. Ek mahila ķe poochñe per usne btaya ki uska poora parivaar ek haadse main khatam ho gya the.Isiliye bacchon ki passed up cheezein galiyin main bechta phirta hai.Sab bacchon main apne main apne bacchon ko dhondta phirta hai.
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मिठाई वाला कहानी एक बहुत ही मार्मिक कहानी है। जिसमें मिठाई बेचने वाला व्यक्ति बच्चों के खुशियों के लिए मिठाई , खिलौने, बंसी सब कुछ सस्ते में बेचता है जिससे सभी बच्चे खुशी खुशी खरीद लेते हैं।
बच्चों के माता-पिता मिठाई वाले के इतने सस्ते दाम पर चीजें बेचने पर हैरान होते हैं। कई लोग तो कोसते भी है कि वह सबको लूटता है।
वास्तव में मिठाई वाला अपनी हानि करके ही सबकुछ सस्ते में लूटा देता है।वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह अपने बीवी और बच्चे को खो चुका था।
बच्चों को चीजें सस्ती दाम पर बेचकर वह उनके चेहरे पर आई खुशियों से खुश होता था। वह अपने बच्चे की कमी को महसूस करता था और हर बच्चे में अपने बच्चे को ढूंढता था।
वह गाना गाकर, बंसी बजाकर खिलौना और मिठाई बेचता था इसलिए सभी बच्चे उसके आने को समझ जाते थे और भीड़ कर बारी बारी से चीज खरीदते थे और सब उससे उसके बच्चे की तरह प्रेम करते थे।
बच्चों के माता-पिता मिठाई वाले के इतने सस्ते दाम पर चीजें बेचने पर हैरान होते हैं। कई लोग तो कोसते भी है कि वह सबको लूटता है।
वास्तव में मिठाई वाला अपनी हानि करके ही सबकुछ सस्ते में लूटा देता है।वह ऐसा इसलिए करता है क्योंकि वह अपने बीवी और बच्चे को खो चुका था।
बच्चों को चीजें सस्ती दाम पर बेचकर वह उनके चेहरे पर आई खुशियों से खुश होता था। वह अपने बच्चे की कमी को महसूस करता था और हर बच्चे में अपने बच्चे को ढूंढता था।
वह गाना गाकर, बंसी बजाकर खिलौना और मिठाई बेचता था इसलिए सभी बच्चे उसके आने को समझ जाते थे और भीड़ कर बारी बारी से चीज खरीदते थे और सब उससे उसके बच्चे की तरह प्रेम करते थे।
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