mithi vani tatha prabhu upar dohe
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1.
कागा काको धन हरै, कोयल काको देत
मीठा शब्द सुनाये के , जग अपनो कर लेत।
कौआ किसी का धन हरण नहीं करता और कोयल किसी को कुछ नहीं देता है।
वह केवल अपने मीठी बोली से पूरी दुनिया को अपना बना लेता है।
2.
ऐक शब्द सों प्यार है, ऐक शब्द कू प्यार
ऐक शब्द सब दुशमना, ऐक शब्द सब यार।
एक शब्द से सबसे प्रेम उत्पन्न होता है एक शब्द सबको प्यारा लगता है।
एक शब्द सबको दुशमन बना देता है और एक शब्द ही सबको मित्र बना देता है। वाणी का सामथ्र्य बहुत है।
3.
कुटिल वचन सब ते बुरा, जारि करै सब छार
साधु वचन जल रुप है, बरसै अमृत धार।
दुष्टता पूर्ण वचनों से बुरा कुछ नहीं होता-यह सबों को जला कर राख कर देता है।
किन्तु संतो के वचन जल के समान अमृत की धार वरसाते हैं।
4.
कुटिल वचन नहि बोलिये, शीतल बैन ले चिन्हि
गंगा जल शीतल भया, पर्वत फोरा तिन्हि।
शत्रुता पूर्ण वचन कभी न बोले केेवल शीतल शुद्ध वचन समझ कर बोंले।
गंगा जल शीतल एंव पवित्र है अतः पहाड़ फोड़ कर आता है। अच्छे वचन से सभी कठिन काम सिद्ध होते है।
कागा काको धन हरै, कोयल काको देत
मीठा शब्द सुनाये के , जग अपनो कर लेत।
कौआ किसी का धन हरण नहीं करता और कोयल किसी को कुछ नहीं देता है।
वह केवल अपने मीठी बोली से पूरी दुनिया को अपना बना लेता है।
2.
ऐक शब्द सों प्यार है, ऐक शब्द कू प्यार
ऐक शब्द सब दुशमना, ऐक शब्द सब यार।
एक शब्द से सबसे प्रेम उत्पन्न होता है एक शब्द सबको प्यारा लगता है।
एक शब्द सबको दुशमन बना देता है और एक शब्द ही सबको मित्र बना देता है। वाणी का सामथ्र्य बहुत है।
3.
कुटिल वचन सब ते बुरा, जारि करै सब छार
साधु वचन जल रुप है, बरसै अमृत धार।
दुष्टता पूर्ण वचनों से बुरा कुछ नहीं होता-यह सबों को जला कर राख कर देता है।
किन्तु संतो के वचन जल के समान अमृत की धार वरसाते हैं।
4.
कुटिल वचन नहि बोलिये, शीतल बैन ले चिन्हि
गंगा जल शीतल भया, पर्वत फोरा तिन्हि।
शत्रुता पूर्ण वचन कभी न बोले केेवल शीतल शुद्ध वचन समझ कर बोंले।
गंगा जल शीतल एंव पवित्र है अतः पहाड़ फोड़ कर आता है। अच्छे वचन से सभी कठिन काम सिद्ध होते है।
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