Hindi, asked by mrajeevdhiman, 10 months ago

mitrta ke upar niband liko​

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Answered by bandanamahanta148
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Answered by anmplanet
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मित्रता पर निबंध

भूमिका : जीवन में प्रगति करने और उसे सुखमय बनाने के लिए अनेक वस्तुओं और सुख साधनों की आवश्यकता पडती है। परंतु एक साधन मित्रता के प्राप्त होने पर सभी साधन अपने आप ही इकट्ठे हो जाते हैं। एक सच्चे मित्र की प्राप्ति सौभाग्य की बात होती है। मित्र वह व्यक्ति होता है जिसे कोई पसंद करे, सम्मान करे और जो प्राय: मिले।

मित्रता का अर्थ : मित्रता का शाब्दिक अर्थ होता है मित्र होना। मित्र होने का अर्थ यह नहीं होता है कि वे साथ रहते हो, वे एक जैसा काम करते हों। मित्रता का अर्थ होता है जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का शुभचिंतक हो अथार्त परस्पर एक-दूसरे के हित की कामना तथा एक-दूसरे के सुख, उन्नति और समृद्धि के लिए प्रयत्नशील होना ही मित्रता है।

मित्रता सिर्फ सुख के ही क्षणों की कामना नहीं करती हैं। दुःख के पलों में भी मित्रता ढाल बनकर आती है और मित्र की रक्षा के लिए तत्पर होती है। मित्रता के लिए कोई भी नियम नहीं होता है अत: मित्रता किस से करनी चाहिए इस संबंध में निश्चित नियम निर्धारित नहीं हो सकते हैं।

मित्रता का महत्व : मित्रता का बहुत महत्व होता है। जब भी कोई व्यक्ति किसी अन्य के साथ स्वंय को परिपूर्ण समझे, उसके साथ उसकी मुसीबतों को अपना समझे, अपने गमों को उसके साथ बाँट सके। भले ही दोनों में खून का संबंध न हो, जातीय संबंध न हो और न ही इंसानी, सजीवता का संबंध लेकिन फिर भी वो भावनात्मक दृष्टि से उससे जुड़ा हुआ हो यही मित्रता का अर्थ होता है।

समाज में मनुष्य : मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। सामाजिक प्राणी होने की वजह से वह अकेला जीवन यापन नहीं कर सकता है। वह सदैव अपने आस-पास के लोगों से मेल-जोल रखने की कोशिश करता है। हर मनुष्य के जीवन में कई लोग संपर्क में आते हैं और कई लोग सहयोग का आदान-प्रदान भी करते हैं।

मित्र बनाना एक कला : मित्र बनाना एक विज्ञान है, मित्रता बनाए रखना भी एक कला होती है। जब मित्र एक-दूसरे के प्रति दयालु और सहनशीलता नहीं रखते हैं तो मित्रता का अंत हो जाता है। मित्रता का उद्देश्य सेवा करवाने की अपेक्षा सेवा करना होना चाहिए। मनुष्य को कोशिश करनी चाहिए कि वह ज्यादा-से-ज्यादा अपने मित्र की सहायता कर सके। मनुष्य को सच्चे और झूठे मित्र में अंतर करना आना चाहिए। एक झूठा मित्र हमेशा अपने स्वार्थ के लिए मित्रता करता है लेकिन ऐसी मित्रता अधिक दिनों तक नहीं टिकती है। ऐसे झूठे मित्रों से हमेशा सावधान रहना चाहिए।

सच्चे मित्र की पहचान : मित्रता आपसी विश्वास, स्नेह और आम हितों के आधार पर एक संबंध है। सच्चे मित्र की पहचान उसके अंदर के गुणों से होती है। जो व्यक्ति आपको सच्चे दिल से प्रेम करता है वहीं एक सच्चे मित्र की पहली पहचान होती है। एक सच्चा मित्र किसी से भी किसी भी बात को नहीं छिपाता है।

उपसंहार : मित्रता एक ऐसा रिश्ता होता है जिसे किसी अन्य रिश्ते से नहीं तोला जा सकता है। अन्य रिश्तों में हम शिष्टाचार की भावना से जुड़े होते हैं लेकिन मित्रता में हम खुले दिल से जीवन व्यतीत करते हैं। इसी वजह से मित्र को अभिन्न ह्रदय भी कहा जाता है।

आशा है कि यह आपकी मदद करे।

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