Mitti kya hoti hai uske kitne Prakar Hote Hain
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अथवा मिट्टी Soil
मृदा अथवा मिट्टी पृथ्वी की सबसे उपरी परत होती है। मिट्टी का निर्माण टूटी चट्टानो के छोटे महीन कणों, खनिज, जैविक पदार्थो, बॅक्टीरिया आदि के मिश्रण से होता है। मिट्टी के कई परतें होती हैं, सबसे उपरी परत में छोटे मिट्टी के कण, गले हुए पौधे और जीवों के अवशेष होते हैं यह परत फसलों की पैदावार के लिए महत्त्वपूर्ण होती है। दूसरी परत महीन कणों जैसे चिकनी मिट्टी की होती है और नीचे की विखंडित चट्टानो और मिट्टी का मिश्रण होती है तथा आख़िरी परत में अ-विखंडित सख्त चट्टानें होती हैं। देश के सभी भागों में मिट्टी की गहराई आसमान रूप से पाई जाती है यह कुछ सेमी. से लेकर 30 मी. तक गहरी हो सकती है।
हर मिट्टी की अपनी विशेषता होती है। अपनी विशिष्ट भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं के माध्यम से विभिन्न प्रकार की फसलों को लाभ प्रदान करती है जलोढ मिट्टी उपजाऊ मिट्टी है जो पोटेशियम से भरपूर है और यह कृषि विशेष कर धान, गन्ना और केले की फसल के लिए बहुत उपयुक्त है। लाल मिट्टी में लौह मात्रा अधिक होती है और यह चना, मूंगफली और अरण्डी के बीज की फसल के लिए उपयुक्त है। काली मिट्टी में कैल्शियम, पौटेशियम और मैग्निशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है लेकिन इसमें नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है। कपास, तम्बाकू, मिर्च तिलहन, ज्वार, रागी और मक्के जैसी फसलें इसमें अच्छी उगती हैं। रेतीली मिट्टी में पोषक तत्त्व कम होते हैं लेकिन यह अधिक वर्षा क्षेत्रों में नारियल, काजू और कैजुरिना के पेड़ों के विकास में उपयोगी है।
मृदा अथवा मिट्टी पृथ्वी की सबसे उपरी परत होती है। मिट्टी का निर्माण टूटी चट्टानो के छोटे महीन कणों, खनिज, जैविक पदार्थो, बॅक्टीरिया आदि के मिश्रण से होता है। मिट्टी के कई परतें होती हैं, सबसे उपरी परत में छोटे मिट्टी के कण, गले हुए पौधे और जीवों के अवशेष होते हैं यह परत फसलों की पैदावार के लिए महत्त्वपूर्ण होती है। दूसरी परत महीन कणों जैसे चिकनी मिट्टी की होती है और नीचे की विखंडित चट्टानो और मिट्टी का मिश्रण होती है तथा आख़िरी परत में अ-विखंडित सख्त चट्टानें होती हैं। देश के सभी भागों में मिट्टी की गहराई आसमान रूप से पाई जाती है यह कुछ सेमी. से लेकर 30 मी. तक गहरी हो सकती है।
हर मिट्टी की अपनी विशेषता होती है। अपनी विशिष्ट भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं के माध्यम से विभिन्न प्रकार की फसलों को लाभ प्रदान करती है जलोढ मिट्टी उपजाऊ मिट्टी है जो पोटेशियम से भरपूर है और यह कृषि विशेष कर धान, गन्ना और केले की फसल के लिए बहुत उपयुक्त है। लाल मिट्टी में लौह मात्रा अधिक होती है और यह चना, मूंगफली और अरण्डी के बीज की फसल के लिए उपयुक्त है। काली मिट्टी में कैल्शियम, पौटेशियम और मैग्निशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है लेकिन इसमें नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है। कपास, तम्बाकू, मिर्च तिलहन, ज्वार, रागी और मक्के जैसी फसलें इसमें अच्छी उगती हैं। रेतीली मिट्टी में पोषक तत्त्व कम होते हैं लेकिन यह अधिक वर्षा क्षेत्रों में नारियल, काजू और कैजुरिना के पेड़ों के विकास में उपयोगी है।
tarunneymar:
thanks bro
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मिट्टी क्या होती है इसके कितने प्रकार होते है |
धरती की सबसे ऊपरी सतह की उथली परतों को मिट्टी कहते हैं, मिट्टी का निर्माण टूटी चट्टानो के छोटे महीन कणों, खनिज, जैविक पदार्थो, बॅक्टीरिया आदि के मिश्रण से होता है। मिट्टी फसलों की पैदावार के लिए महत्त्वपूर्ण होती है। इसमें बहुत सारी वनस्पतियाँ और जंतु स्थायी रूप से निवास करते हैं ।
मिट्टी के प्रकार:
- जलोढ़ मिट्टी
- काली मिट्टी
- लाल मिट्टी
- रेतीली मिट्टी
- चिकनी मिट्टी
- बालू मिट्टी(लैटेराइट मिट्टी)
- वनों वाली मिट्टी
- क्षारयुक्त मिट्टी
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