mohallah mein jal sankat se utpann kathinaiyo ka
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आज विश्व में तेल के लिए युद्ध हो रहा है। भविष्य में कहीं ऐसा न हो कि विश्व में जल के लिए युद्ध हो जाए। अतः मनुष्य को अभी से सचेत होना होगा। सोना, चांदी और पेट्रोलियम के बिना जीवन चल सकता है, परंतु बिना पानी के सब कुछ सूना और उजाड़ होगा। अतः हर व्यक्ति को अपनी इस जिम्मेदारी के प्रति सचेत रहना है कि वे ऐसी जीवन शैली तथा प्राथमिकताएं नहीं अपनाएं जिसमें जीवन अमृतरूपी जल का अपव्यय होता हो। भारतीय संस्कृति में जल का वरुण देव के रूप में पूजा-अर्चना की जाती रही है, अतः जल की प्रत्येक बूँद का संरक्षण एवं सदुपयोग करने का कर्तव्य निभाना आवश्यक है।जल संकट मानवीय कुव्यवस्था का परिणाम है। लोगों में जागरुकता का अभाव जल संकट पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। मजे की बात है कि जल संकट का तत्क्षण तथा प्रत्यक्ष प्रभाव न होने के कारण हमारी मानसिकता इस प्रकार की हो गयी है कि हम जल संरक्षण के प्रति उत्साहित तथा समर्पित नहीं होते हैं। किन्तु हमारी कुव्यवस्था की प्रवृत्तियाँ भविष्य में महासंकट के लिये पृष्ठभूमि तैयार कर रही है। हम बौद्धिक प्राणी हैं किन्तु दुख के साथ कहना पड़ता है कि हम अपने विवेक का सहारा केवल संकट आने पर ही लेना जानते हैं। यदि हम पहले से ही जल संकट के प्रति सजग रहें तो हमारा भविष्य सुरक्षित हो जायेगा।
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