Hindi, asked by shankpranha99, 10 months ago

Moral hindi story on jute ki kimat

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Answered by shishir303
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                                              (Story on...)

                                     जूते की कीमत

मेरा जूता है जापानी, यह पतलून इंगलिस्तानी...

राज कपूर की फिल्म का यह गाना जूते की महत्ता को बताता है कि जूता मानव के लिए कितना महत्व है। मनुष्य चाहे कितनी भी अच्छे कपड़े पहन ले, उसका जूते यदि फटा पुराना होगा तो पूरे व्यक्तित्व पर दाग लग जाता है। अच्छे कपड़ों का महत्व कुछ नहीं रहता।

मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। सुबह दफ्तर जाने के लिए तैयार हुआ, जूते निकालें तो देखा जूते चूहों ने कुतर दिए थे। आगे से छेद हो गये थे। अब सुबह-सुबह नये जूते कहां से लाऊं। दफ्तर जाना है, यह एक की जोड़ी जूते थे। बाकी सैंडल और चप्पलें थीं। सैंडल और चप्पल पहन कर दफ्तर जाना शोभा नहीं देता। जूते ही पहनना जरूरी था। लेकिन जूते तो फट चुके थे। अजीब विडंबना थी, अब क्या करूं।

खैर किसी तरह जूतों को पॉलिश किया। चमकाया ताकि उनका फटाफन कुछ हद तक छुप सके और फिर उन्हें पहनकर दफ्तर के लिए चल दिया। लेकिन मन नहीं लग रहा था और सारा ध्यान जूतों पर ही जा रहा था। ऐसा लग रहा था कि सब मुझे ही देख रहे हैं और मेरी जूतों की तरफ देख रहे हैं। किसी तरह अपने दफ्तर पहुंचा। तो वहाँ भी बड़ी शर्मिंदगी लग रही थी, ऐसा लग रहा था कि सब मुझे ही देख रहे हैं, मेरे जूतों की तरफ ही देख रहे हैं।भले ही उनका ध्यान वैसा नहीं था लेकिन मुझे ऐसा ही महसूस हो रहा था।

मैं अपने केबिन में जल्दी से घुस गया। अब मैने थोड़ी राहत की साँस ली क्योंकि अब जूते टेबल की आड़ में छुप गए थे और उन पर किसी का ध्यान नहीं जा सकता था। मैं जल्दी से काम निपटा कर लंच टाइम होने का इंतजार करने लगा। घड़ी बड़ी धीरे-धीरे बीत रही थी, जब किसी काम के लिए समय का इंतजार होता है तो समय बड़ा धीरे-धीरे चलता हुआ जान पड़ता है।

किसी तरह लंच समय हुआ और मैंने राहत की सांस ली। मैंने फटाफट खाना खाया और तेजी से दफ्तर से बाहर निकल गया। बाहर निकल कर आसपास नजर दौड़ाई। कुछ कदम आगे चलने पर एक जूतों की दुकान दिखाई थी तो मैं फटाफट दुकान में दाखिल हो गया। अच्छी कंपनी के जूते देखे लेकिन वह मेरे बजट से बाहर थे। फिर मैंने दुकानदार को फिर मैंने दुकानदार को अपना बजट बताया और अपने बजट के अनुसार जूते दिखाने को कहा। तब दुकानदार ने मुझे मेरे बजट के अनुसार जूते दिखाएं और मैंने जूते खरीद किए और पुराने जूते वहीं से फेंक कर नए जूते पहन लिए।

अब मैं कुछ राहत महसूस कर रहा था। मैं सीना ताने हुए दुकान से बाहर निकला और गर्व से सीना फुलाता हुआ दफ्तर में घुसा। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि जूते की कितनी कीमत होती है। एक फटा हुआ जूता सारे व्यक्तित्व पर दाग लगा सकता है चाहें हम कितने अच्छे कपड़े ना पहने हों। इस तरह मुझे एहसास हुआ कि हमारे लिए हर छोटी सी छोटी वस्तु की कीमत है चाहे वो सिर का मुकुट हो या पैरों के जूते।

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