moral of poem vritha mat lo bharat ka naam by ramdhari singh dinkar
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वृथा मत लो भारत का नाम कविता कवि 'रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा लिखी गई है|
इस कविता में भारत के सांस्कृतिक पक्ष की महत्ता का वर्णन किया है|
वृथा मत लो भारत का नाम कविता से हमें यह संदेश मिलता है भारतवासी होना अपने आप में एक गर्व होने वाली बात है | हमें भारत देश की रक्षा करनी चाहिए और प्रेम भावना से रहना रहना चाहिए | सभी भारतवासियों को अपनी गौरवशाली परम्परा से उच्चस्तरीय जीवन-शैली को अपनाकर एक अच्छा जीवन जीने की सलाह दी है|
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कविता का भावार्थ क्या होगा कृपा बताये
वृथा मत लो भारत का नाम।
मानचित्र में जो मिलता है, नहीं देश भारत है।
भू पर नहीं, मनों में ही, बस, कहीं शेष भारत है।।
भारत एक स्वप्न भू को ऊपर ले जानेवाला,
भारत एक विचार, स्वर्ग को भू पर लानेवाला।
Explanation:
kavi ke anusaar bharat desh kahan basa hai