Hindi, asked by vandithan06, 6 months ago

(Motherland)
प्रस्तुत कविता में डॉ. चंद्रकांत भारद्वाज ने अपनी इस जन्मभूमि भारत की प्रशंसा करते हुए इसकी पूजा की है।
लोगों को अपना समझकर प्यार करते हैं। सत्य और अहिंसा को राह दिखाने वाला यह देश महान है।
है जन्मभूमि भारत, हे कर्मभूमि भारत,
हे चंदनीय भारत, हे अभिनंदनीय भारत!
जीवन-सुमन चढ़ाकर आराधना करेंगे.
तेरी जनम-जनम भर हम वंदना करेंगे।
हम अर्चना करेंगे।
हिमा महान तू है, गौरव निधान तू है.
प्राण है हमारी), जननी समान तू है।
तर लिए जि, तेरे लिए मरेंगे,
तर लिए जनम भर, हम साधना करेंगे।
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हम अर्चना करेंगे।
जिसका मुकुट हिमालय, जग जगमगा रहा है,
सागर जिसे रतन की, अंजलि चढ़ा रहा है,
वह देश है हमारा, हम गर्व से कहेंगे,
वह देश के बिना हम, जीवित नहीं रहेंगे।
हम अर्चना करेंगे।
डॉ. चंद्रकांत भारद्वाज​

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Answered by adarshdev73
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