Mughal Samrajya Mughal Samrajya ke sath Raja ki detail Hindi mai
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बाबर का संक्षिप्त परिचयमुगल वंश के संस्थापक बाबर का शासन काल 1526 ई. से 1530 ई. तक चला बाबर का पूरा नाम जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर था बाबर का जन्म 14 फरवरी 1483 को फरगना मे हुआ था बाबर चगताई तुर्क था अपने पिता उमर शेख की ओर से बाबर तैमूर का वंशज था और अपनी माँ कुतलग निशा की ओर से चंगेज खाँ का वंशज था
11 वर्ष की उम्र में 1494 ई. में यह फरगना का शासक बना 1508 में इसने कंधार पर विजय प्राप्त की यही पर इसके पुत्र हुमायूँ का जन्म हुआ
बाबर कौन सी उपाधि लेना शुरु कियाइसने अपनी सेना में तोप शामिल की और जो पूर्व के सुल्तान हुआ करते थे वो मिर्जा की उपाधि देते थे किंतु इसने ‘पादशाह’ की उपाधि लेना शुरू किया इसने पादशाह की उपाधि ली
बाबर वैसे तो सुन्नी मुसलमान था पर उसने कुछ समय के लिए शिया मत भी स्वीकार किया था (ईरान के शाह से सहायता प्राप्त करने के लिए)
भारत पर आक्रमण करने से पूर्व बाबर ने किन -किन स्थानों पर विजय प्राप्त की भारत पर आक्रमण करने से पूर्व ये काबुल, कंधार व समकंद आदि पर विजय प्राप्त कर चुका था
बाबर की आत्मकथाबाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा लिखी उसमें उसने लिखा है जब मैंने हिंदुस्तान विजित किया उस समय हिंदुस्तान में पाँच मुसलमान शासकों तथा दो काफिर बादशाहों का शासन था(बाबर के अनुसार पाँच मुसलमान राज्य-दिल्ली, गुजरात, बहमनी, मालवा तथा बंगाल, दो काफिर राज्य- विजय नगर, मेवाड)
पानीपत की लडाई से पहले बाबर ने भारत पर कितनी बार आक्रमण किया
पानीपत की लडाई से पहले भारतीय क्षेत्रों पर बाबर ने चार बार आक्रमण किया बाबर भारत खैबर दर्रे से होकर आया था और सबसे पहली बार इसने 1519 ई में भारत पर आक्रमण किया था
बाबर के प्रमुख युध्दबाबर के चार प्रमुख युध्द है-
पानीपत का युध्द पानीपत का युध्द भारत मे इसे लाहौर के गवर्नर और इब्राहिम लोदी चाचा दौलत खाँ ने अपने पुत्र बिलाबल खाँ और बहलोल लोदी के पुत्र आलम खाँ को बाबर को भारत पर आक्रमण करने हेतु आमंत्रित करने के लिए भेजा गया कहीं कहीं उल्लेख मिलता है कि राणा ने भी बाबर को भारत पर आक्रमण करने के लिए भेजा था
पानीपत का प्रथम युध्द बाबर ने अपने 12,000 सैनिकों के सहायोग से इब्राहिम लोदी की सेना को बहुत बुरी तरह परास्त किया इस युध्द में उसने अपनी प्रसिध्द तुलगुमा युध्द नीति का और तोप खाने का प्रयोग किया इस युध्द की खुशी में बाबर ने काबुल वासियों को एक-एक का सिक्का उपहार में दिया अपनी इस उदारता के कारण बाबर को कलंदर कहा गया
अपनी विजय के बाद बाबर ने 27 अप्रैल 1526 को दिल्ली में मुगल वंश के संस्थापक के रूप में अपना राज्यभिषेक कराया
पानीपत के युध्द के समय भारत की राजनैतिक शक्ति अफगानों और राजपूतों में बँटी थी इस राजनीतिक शक्ति पर अधिकार के उद्देश्य से बाबर ने खानवा और घाघरा का युध्द लडा
बाबर की तुलगुमा नीति क्या थीतुलगुमा नीति- तुलगुमा के अंतर्गत सेनायें तीन ओर से आक्रमण करती है
खानवा का युध्द
खानवा का युध्द 16 मार्च 1527 मे बाबर और मेवाड के राजा राणा सांगा के बीच हुआ इस युध्द में विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की
चंदेरी का युध्द चंदेरी का युध्द 29 जनवरी 1528 को बाबर और चंदेरी के शासक मेधनीय राय के बीच हुआ युध्द में बाबर विजयी रहा
घाघरा का युध्द घाघरा का युध्द में घघर, बिहार नदी के तट पर बाबर ने अफगानों को पराजित किया मध्यकाल का यह पहला युध्द था जल और थल दोनो में लडा गया था ये बाबर द्वारा लडी गई अंतिम लडाई थी
बाबर की अन्य रचना कौन सी थी
बाबर की एक और रचना तुजुक-ए-बाबरी है बाबर ने इसकी तुर्की में रचना की थी बाबर की इस रचना को अकबर ने अब्दुर्रहीम खानेखाना के द्वारा तुर्की से फारसी भाषा में रुपांतरित कराया
बाबर की संतानेंबाबर के चार पुत्र हुमायुँ, अस्करी, कामरान, हिंदाल थे व एक पुत्री गुलबदन बेगम थी
गुलबदन बेगम गुलबदन बेगम बाबर की पुत्री थी उसने हुमायूँनामा की रचना की जिसमे आधे मे हुमायूँ का व आधे में बाबर का वर्णन मिलता है
"लेनपूल के अनुसार बाबर एक सैनिक था, साम्राज्य का निर्माता नहीं"
बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर 1530 को बाबर की मृत्यु हो गई और उसे काबुल में दफनाया गया बाबर ने हुमायूँ को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया
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