Hindi, asked by lochanLala715, 1 year ago

muhje ek essay chahiye on apne liye jiye toh kya jiye

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Answered by ashlee
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अपने लिए जिये तो क्या जिए ?
इस दुनिया में आज लोग अपने लिए जीते दीखते है , पर ऐसा जीवन , जीवन थोड़ी है ? अगर हम औरो की न सोचकर , केवल अपने ही जिए, तो हम मे और जानवरो में क्या अंतर रह गया ? मनुष्य अपनी चोर ,दुसरो के लिए भी सोचता है, यही तो हमे ब्रम्हांड में अलग बनती है। 
परोपकार ही जीवन की आधार है। परोपकार सब्द का मतलब औरो का उपकार है. हमारी ज़िंदगी में परोपकार का बारे ही महत्वपूर्ण स्थान है. यहाँ तक की प्रकृति भी हमें परोपकार का उदाहरण देती है. 
कहा भी गया है-
वृक्ष कभू फल भाखे, नदी न संचय नीर, 
परमराय के करने, साधु न धरा शरीर.
वृक्ष कभी अपने फल नहीं सवरता है, बाल्टी हमे प्रदान करता है. नदी अपना शीतल जल हमे प्रदान करती है. धरती हमे अपने कोख में धारण की हुयी है. यह सब परोपकार ही तोह है.
जब प्रकृति ने ही हमे इतने उदाहरण दिए है तो हम कैसे पीछे रहे. रूज़मार्य की ज़िंदगी में हज़ारो लोग परोपकार करते दिखाई देते है. किसान हमारे लिए फसल बोटा है, सैनिक देश की रक्षा करते है, वैज्ञानिक नयी खोजे कर हमे और वैज्ञानिक तौर से उन्नत करता है. बिना परोपकार के ज़िंदगी का मतलब ही क्या है? स्वामी विवेकानंदा, गंडझी, रबीन्द्रनाथ टैगोर जैसे महान आत्माए परोपकार के गन का अपने जीवन में प्रयोग किया है, तभी वे आज पूजनीय है.
“परहित सरिस धर्म नहीं भाई 
परपीड़ा नहीं अधमाई”

Answered by Anonymous
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अपने लिए जिये तो क्या जिये ।

□ आपने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना होगा कि मनुष्य वहीं जो मनुष्य के लिए जिये ।

यानी जो मनुष्य खुद के लिए नही बल्कि दूसरों के लिए जिये वहीं मनुष्य कहलाने का असली हकदार होता हैं । अन्यथा वे पशु के समान होते हैं ।

□ अपना क्या हैं अपने लिए तो पशु भी जी लेते हैं जिनके हाथ भी नहीं होते । अगर ऐसे ही पृथ्वी पर सबसे बुद्धिमान कहलाए जाने वाले मनुष्य भी ऐसा करने लगे तो दोनों में भेद कर पाना मुश्किल हो जाएगा । जो मानव जाति को शर्मनाक करने के लिए काफी हैं ।

□ इस कथन को और स्पष्ट करने के लिए आइये हम एक उदाहरण के माध्यम से हम इसे समझते हैं ।

परिवार

किसी भी परिवार में माता और पिता मुख्य होते हैं । जो स्वावलंबी ( अपने पैरों पर खड़ा होना ) होते हैं । और वही आपका ध्यान जैसे पढ़ाना , लिखना आपका हर प्रकार की जरूरतों को पूरा करना , किसी भी चीज की कमी ना होने देना आदि भली - भाँति करते हैं अगर वहीं खुद के बारे में सोचने व जीने लगे तो हर वह बच्चे का क्या होगा जो आत्मनिर्भर नहीं होता । सोचने में अजीब सा लगता हैं मगर ऐसा नहीं हैं । इस प्रकार हमें खुद के लिए नही बल्कि अन्य के लिए जीना चाहिए , ऐसा उदाहरण हमें अपने परिवार में ही देखने को मिलता है ।

शिक्षक

□ जैसे एक शिक्षक खुद शिक्षित हो कर अन्य को शिक्षित कर देता हैं । अगर वह अपने लिए जीना शुरू कर दें तो अन्य छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा । जिससे देश का भविष्य खतरे की ओर अग्रसर होगा ।

□ इतिहास भी अब तक यही बताता हैं खुद के लिए जीने वाले पशु व दूसरों के लिए जीने वाले महान बनें ।

□ किन्तु आजकल के लोग स्वार्थी हो गए हैं । अब उन्हें दूसरों की कोई परवाह नहीं हैं । अगर सभी मनुष्य ऐसे ही जीने लगे तो इस संसार में मानवता व दया नाम की कोई चीज़ नहीं रह जाएगी । हाँ , हम कुछ अन्य लोगों को दूसरों की सहायता करते देखा होगा । असल में वही मनुष्य कहलाने के असली हकदार हैं ।

निष्कर्ष

□ उपयुक्त कथन का निष्कर्ष यही निकलता है जिंदगी मिली हैं तो दूसरों की सहायता करों , उन्हें खुश रखो , जहाँ तक हो सकें किसी को भूखा न रहने दों , उनकी इच्छाओं की पूर्ति तन और मन लगाकर करों । जीने का सबसे बड़ा सुख यही हैं ।

अंत में

♡ प्राणी वहीं जो प्राणियों के लिए जिये ♡

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