Mujhe Kadam kadam par kavita Aap me jivan ke prati kis prakar ke drishtikoon ka Vikas karti hai ulekh kijiye
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'मुझे कदम कदम' कविता हमारे उद्देश्य और रचनात्मक जीवन के प्रति सौंदर्य, राग-विराग, विरह आदि भावों को भाषा के दृष्टिकोण का मुक्तिबोध विकास करती है।
'मुझे कदम-कदम पर' कविता में बताया गया है कि चौराहें मिलना बहुत अच्छा हैं। ये रास्ते में संकट बनकर नही, बल्कि विकल्प बनकर हमारे सामने आते हैं। यानी हमारे समक्ष जितने रास्ते होंगे, उतने ही विकल्प होंगे और हम उनमें से जो हम चुने गे वो अपने साथ और कई विकल्प लिए होगा ।
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