Hindi, asked by sriom9410603644, 9 months ago

निबंध हिंदी में लॉकडाउन के अंतर्गत श्रमिक समस्या​

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Answered by bhashkardev867
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Answer:

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Explanation:

लॉकडाउन की वजह से दूसरे राज्यों में फंसे लोगों को घर वापस लाने के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं. राज्यों की मांग पर केंद्र सरकार ने ट्रेन से मज़दूरों और दूसरे लोगों को वापस लाने की अनुमति दी है.

हज़ारों की संख्या में प्रवासी मज़दूर अपने राज्य वापस लौट रहे हैं. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि दूसरे राज्यों से आने वाले इन लोगों को सरकार कहां रखेगी और उन्हें घर भेजने की प्रक्रिया क्या होगी?

जिस तादाद में मज़दूर अपने राज्यों में लौटे हैं क्या वहां उन्हें क्वारंटीन करने और उनकी खाने पीने की सुविधाएं हैं? और फिलहाल किस राज्य के कितने लोग दूसरे राज्यों में फंसे हैं?

एक नज़र राज्यों की स्थिति पर...

प्रवासियों को एक साथ नहीं बुला रही ममता सरकार

पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा है कि देश के विभिन्न हिस्सो में फंसे तमाम छात्रों, पर्यटकों और प्रवासी मजदूरों को चरणबद्ध तरीके से वापस ले आया जाएगा.

इसी क्रम में बीते सप्ताह कोटा में फंसे राज्य के लगभग ढाई हजार छात्रों को बसों से ले आया गया है. अब अजमेर और केरल के त्रिवेंद्रम से दो ट्रेनों में लगभग ढाई हज़ार तीर्थयात्री, पर्यटक और प्रवासी मजदूर अगले दो दिनों में यहां पहुंचेंगे.

Answered by starkt66663
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Answer:

केंद्र सरकार ने अभी तक इस बात की कोई घोषणा नहीं की है कि भारत में फैले कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन के कारण पहले से ही सामना कर रहे आर्थिक आपातकाल से निपटने की उसकी क्‍या योजना है.

ऐसी स्थिति में लोगों की तत्काल मदद करने के लिए नकदी से लेकर शहरी क्षेत्रों में प्रवासियों के लिए सामान देकर सहायता तथा स्वास्थ्य संबंधी आवश्यक उपायों के बारे में कुछ सुझाव हैं, जिन पर गौर किया जा सकता है.

कोरोना वायरस रोग 2019 (कोविड-19) के प्रसार और इसके आगे के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए लागू किए गए अनियोजित लॉकडाउन ने ऐसे लाखों लोगों के जीवन में एक आर्थिक तबाही मचा दी है जो अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं– इनमें न केवल दिहाड़ी मज़दूर हैं बल्कि अनियमित अर्थव्‍यवस्‍था में काम करने वाले मजदूर भी हैं.

रोजगार-बेरोजगारी सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, भारत के कुल कार्यबल का 80% से अधिक हिस्‍सा अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं, इसमें से एक तिहाई कैज़ुअल मजदूर हैं.

प्रधानमंत्री द्वारा 19 मार्च को दिए गए संबोधन के 24 घंटों के भीतर महानगरों के रेलवे और बस स्टेशनों पर भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हो गई. जो लोग कमा नहीं सकते, वे अपने घर जाना चाहते थे, जहां उन्हें कम से कम खाना और आश्रय तो मिलेगा.

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