निबंध ऑन सूरत यदि सूर्य ना होता
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Explanation:
आज हमारी पाठशाला को छुट्टी थी मैं और मेरे सभी दोस्त मिलकर पूरे दिन भर सूरज की तपती गर्मी में क्रिकेट खेल रहे थे। हम सभी पूरे दिन भर खेलने के बाद पसीने से बेहाल होकर घर चले गए।
जैसे ही मैं घर पहुंचा मेरी मां मुझ पर चिल्लाने लगी क्योंकि मैं पसीने से पूरी तरह से भीग चुका था और काफी थक गया था। फिर क्या मैं समय से पहले ही सो गया।
मैं अगले दिन समय से पहले ही जग गया और मैंने जब खिड़की खोल कर देखी तो अभी तक सूर्यास्त नहीं हुआ था बाहर पूरी तरह से अंधकार छाया हुआ था। मैंने फिर से सोने की कोशिश की पर मुझे नींद नहीं आ रही थी।
तभी मेरे मन में एक कल्पना आई की यदि सूरज ना होता तो क्या होता। मैंने सोचा यदि सूर्य नहीं हुआ तो कितना अच्छा होगा।
मेरे मन में विचार आया यदि सूरज नहीं हुआ तो सारी पाठशाला को छुट्टी मिल जाएगी क्योंकि सूरज नहीं होगा तो दिन कैसे होगा ?। और अगर कभी दिन हुआ ही नहीं तो पाठशाला जाने का सवाल ही नहीं।
यदी सूरज नहीं हुआ तो मेरे पिताजी को कितना आराम मिलेगा क्योंकि उन्हें भी काम पर जाने की जरूरत नहीं, यदि सूरज नहीं हुआ तो कितनी मजा आएगी रोज कोई काम नहीं होगा और बस आराम करते रहो और जितना जी चाहे उतना सोना वाह यदि सूरज नहीं हुआ तो जिंदगी मैं तो मौज ही मौज है।
सूर्य की गर्मी के कारण आने वाले पसीने का तो कोई सवाल ही नहीं रहेगा। मतलब जितना चाहो उतनी देर तक क्रिकेट खेल सकते है। वाह! यदी सूरज नहीं हुआ तो कितना अच्छा होगा ऐसा विचार मेरे मन में आया।
यदि सूर्यास्त नहीं हुआ तो केवल और केवल अच्छा ही होगा क्या ऐसा विचार मेरे मन में आने लगा। यदि सूरज नहीं हुआ तो कुछ नुकसान तो नहीं होगा ना या प्रश्न मुझे पड़ा।
यदि सूरज नहीं हुआ तो पृथ्वी पर सूर्य किरण कैसे आएंगी और पृथ्वी पर प्रकाश कैसे आएगा?। बाप रे अगर बाहर रोशनी नहीं रहेगी तो घर के बाहर कैसे जाएंगे। इतना ही नहीं पेड़ों को जिंदा रहने के लिए सूर्य प्रकाश की आवश्यकता होती है तो फिर वह कैसे जिंदा रह पाएंगे। और अगर पेड़ ही नहीं रहेंगे तो हम क्या खाएंगे। खाना तो छोड़ो हमें सांस लेने के लिए हवा तक नहीं मिलेगी।
मैं सोच ही रहा था कि खिड़की पर मुझे सूर्य किरण आत्ती दिखाई दी और मुर्गे की बांग सुनाई दी "कुकडू-कू" और यदि सूर्या नहीं होता तो यह भयानक कल्पना मैंने अपने दिमाग से निकाल दी क्योंकि सूरज के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है।