निबंध on "देशाटन के दृष्टिकोण से उत्तराखंड"
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मनुष्य स्वभाव से ही भ्रमणशील है। उसे नवीनता प्रिय है अतः वह हर नये स्थान तक पहुँचना और हर नयी वस्तु को देखना चाहता है। उसकी यह जिज्ञासु प्रवृत्ति की उसकी प्रगति का मूल कारण है। अपनी जिज्ञासा को शान्त करने के लिये मानव एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाता है। भ्रमण करने की इस प्रकिया को देशाटन कहते हैं।
घूमने फिरने के इस शौक को पूरा करना प्राचीन काल में सुगम नहीं था। बैलगाड़ी, ऊँट, घोड़ा अथवा खच्चर जैसे यातायात के साधन बहुत धीमी गति से गन्तव्य स्थल तक पहुँचाते थे। इन पर यात्रा करना कष्टप्रद भी था। जंगलों, नदियों, पहाड़ों को पार कर दूर दराज के स्थानों पर पहुँचना जोखिम का काम था।
सर्दी गर्मी और बरसात के महीनों में यात्रा करना दुसाध्य था। रास्ते में जंगली जानवर और लुटेरे डाकुओं का खतरा सदैव बना रहता था। परन्तु इतिहास साक्षी है कि परिस्थितियों में भी मेगस्थनीज, हेनसांग आदि यात्रियों ने देश विदेश की सीमायें लाँघ कर कठिन यात्रायें की थीं।
आधुनिक काल में यात्रा करना एक सुखद अनुभव है। नगर में भ्रमण करने के लिये स्वयं के वाहनों के अतिरिक्त मोटर, स्कूटर, बसों की सुविधायें हैं। देश विदेश पर्यटन के लिये रेलगाड़ी, हवाई जहाज एवं समुन्द्री जहाज की सुविधायें उपलब्ध हैं।
देशाटन के माध्यम से हम नयी नयी जगहों को देखकर ज्ञान वृद्धि करते हैं। नये नये लोगों से मिलकर उनके रहन सहन, खाने पीने के ढंग और उनकी सभ्यता संस्कृति और भाषा बोलियों का परिचय प्राप्त करते हैं। प्रकृति के नये नये रूपों से अवगत होते हैं। ऐतिहासिक एवं प्राचीन इमारतों एवं किलों की वास्तुकला के विषय में ज्ञान अर्जित करते हैं। देशाटन एक अच्छा शौक है। इसमें मनोरंजन और ज्ञान वर्द्धन एक साथ होता है।
देशाटन से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। व्यक्ति दूसरों की उन्नति और प्रगति से प्रेरित होता है। उसमें नयी आशा व नये उत्साह का संचार होता है।
आज पर्यटन एक महत्वपूर्ण उद्योग है। एक देश से दूसरे देश में जाने वाले सैलानी प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। आजकल सरकार द्वारा पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
घूमने फिरने के इस शौक को पूरा करना प्राचीन काल में सुगम नहीं था। बैलगाड़ी, ऊँट, घोड़ा अथवा खच्चर जैसे यातायात के साधन बहुत धीमी गति से गन्तव्य स्थल तक पहुँचाते थे। इन पर यात्रा करना कष्टप्रद भी था। जंगलों, नदियों, पहाड़ों को पार कर दूर दराज के स्थानों पर पहुँचना जोखिम का काम था।
सर्दी गर्मी और बरसात के महीनों में यात्रा करना दुसाध्य था। रास्ते में जंगली जानवर और लुटेरे डाकुओं का खतरा सदैव बना रहता था। परन्तु इतिहास साक्षी है कि परिस्थितियों में भी मेगस्थनीज, हेनसांग आदि यात्रियों ने देश विदेश की सीमायें लाँघ कर कठिन यात्रायें की थीं।
आधुनिक काल में यात्रा करना एक सुखद अनुभव है। नगर में भ्रमण करने के लिये स्वयं के वाहनों के अतिरिक्त मोटर, स्कूटर, बसों की सुविधायें हैं। देश विदेश पर्यटन के लिये रेलगाड़ी, हवाई जहाज एवं समुन्द्री जहाज की सुविधायें उपलब्ध हैं।
देशाटन के माध्यम से हम नयी नयी जगहों को देखकर ज्ञान वृद्धि करते हैं। नये नये लोगों से मिलकर उनके रहन सहन, खाने पीने के ढंग और उनकी सभ्यता संस्कृति और भाषा बोलियों का परिचय प्राप्त करते हैं। प्रकृति के नये नये रूपों से अवगत होते हैं। ऐतिहासिक एवं प्राचीन इमारतों एवं किलों की वास्तुकला के विषय में ज्ञान अर्जित करते हैं। देशाटन एक अच्छा शौक है। इसमें मनोरंजन और ज्ञान वर्द्धन एक साथ होता है।
देशाटन से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है। उसका आत्मविश्वास बढ़ता है। व्यक्ति दूसरों की उन्नति और प्रगति से प्रेरित होता है। उसमें नयी आशा व नये उत्साह का संचार होता है।
आज पर्यटन एक महत्वपूर्ण उद्योग है। एक देश से दूसरे देश में जाने वाले सैलानी प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाते हैं। आजकल सरकार द्वारा पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिये कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।
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Hi mate your answer is.... उत्तराखण्ड में पर्यटन और तीर्थाटन इस राज्य में आय का प्रमुख स्रोत और यहाँ की अर्थव्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है।
उत्तराखण्ड में भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे नैनीताल, मसूरी, देहरादून, कौसानी इत्यादि। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान भी हैं जैसे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय अभयारण्य, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान इत्यादि। यह सब स्थल भी देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
उत्तराखण्ड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि यहाँ वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। उत्तराखण्ड के लगभग हर कोने में किसी ना किसी देवता या देवी का मन्दिर है। इस राज्य में भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक हरिद्वार में प्रति वर्ष लाखों पर्यटक आते है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त छोटा चारधाम भी इसी राज्य में स्थित हैं: केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री तथा दूनागिरी। इन धामों की यात्रा के लिए भी प्रति वर्ष लाखों लोग देशभर से आते हैं।हरिद्वार में प्रति बारह वर्षों में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश-विदेश से आए करोड़ो श्रद्धालू भाग लेते हैं। राज्य में मंदिरों और तीर्थस्थानों की बहुतायत है, जो स्थानीय देवताओं या शिवजी या दुर्गाजी के अवतारों को समर्पित हैं और जिनका सन्दर्भ हिन्दू धर्मग्रन्थों और गाथाओं में मिलता है। इन मन्दिरों का वास्तुशिल्प स्थानीय प्रतीकात्मक है और शेष भारत से थोड़ा भिन्न है। जागेश्वर में स्थित प्राचीन मन्दिर (देवदार वृक्षों से घिरा हुआ १२४ मन्दिरों का प्राणंग) एतिहासिक रूप से अपनी वास्तुशिल्प विशिष्टता के कारण सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। तथापि, उत्तराखण्ड केवल हिन्दुओं के लिए ही तीर्थाटन स्थल नहीं है। हिमालय की गोद में स्थित हेमकुण्ड साहिब, सिखों का तीर्थ स्थल है। मिंद्रोलिंग मठ और उसके बौद्ध स्तूप से यहाँ तिब्बती बौद्ध धर्म की भी उपस्थिति है।
पर्यटन स्थल--
उत्तराखण्ड में बहुत से पर्यटन स्थल है जहाँ पर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं, जैसे नैनीताल और मसूरी। राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं:
केदारनाथ
नैनीताल
गंगोत्री
यमुनोत्री
बद्रीनाथ
अल्मोड़ा
ऋषिकेश
हेमकुण्ड साहिब
नानकमत्ता
फूलों की घाटी
मसूरी
देहरादून
हरिद्वार
औली
चकराता
रानीखेत
बागेश्वर
भीमताल
कौसानी
लैंसडाउन
I hope you will get your answer...
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐❤❤❤⭐⭐⭐⭐
उत्तराखण्ड में भारत के कुछ सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे नैनीताल, मसूरी, देहरादून, कौसानी इत्यादि। इसके अतिरिक्त यहाँ कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान भी हैं जैसे फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय अभयारण्य, नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान इत्यादि। यह सब स्थल भी देश-विदेश के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
उत्तराखण्ड को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। इसका कारण है कि यहाँ वैदिक संस्कृति के कुछ अति महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थान हैं। उत्तराखण्ड के लगभग हर कोने में किसी ना किसी देवता या देवी का मन्दिर है। इस राज्य में भारत के सबसे प्रमुख धार्मिक नगरों में से एक हरिद्वार में प्रति वर्ष लाखों पर्यटक आते है। हरिद्वार के निकट स्थित ऋषिकेश भारत में योग क एक प्रमुख स्थल है और जो हरिद्वार के साथ मिलकर एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसके अतिरिक्त छोटा चारधाम भी इसी राज्य में स्थित हैं: केदारनाथ, गंगोत्री, बद्रीनाथ, यमुनोत्री तथा दूनागिरी। इन धामों की यात्रा के लिए भी प्रति वर्ष लाखों लोग देशभर से आते हैं।हरिद्वार में प्रति बारह वर्षों में कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें देश-विदेश से आए करोड़ो श्रद्धालू भाग लेते हैं। राज्य में मंदिरों और तीर्थस्थानों की बहुतायत है, जो स्थानीय देवताओं या शिवजी या दुर्गाजी के अवतारों को समर्पित हैं और जिनका सन्दर्भ हिन्दू धर्मग्रन्थों और गाथाओं में मिलता है। इन मन्दिरों का वास्तुशिल्प स्थानीय प्रतीकात्मक है और शेष भारत से थोड़ा भिन्न है। जागेश्वर में स्थित प्राचीन मन्दिर (देवदार वृक्षों से घिरा हुआ १२४ मन्दिरों का प्राणंग) एतिहासिक रूप से अपनी वास्तुशिल्प विशिष्टता के कारण सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। तथापि, उत्तराखण्ड केवल हिन्दुओं के लिए ही तीर्थाटन स्थल नहीं है। हिमालय की गोद में स्थित हेमकुण्ड साहिब, सिखों का तीर्थ स्थल है। मिंद्रोलिंग मठ और उसके बौद्ध स्तूप से यहाँ तिब्बती बौद्ध धर्म की भी उपस्थिति है।
पर्यटन स्थल--
उत्तराखण्ड में बहुत से पर्यटन स्थल है जहाँ पर भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं, जैसे नैनीताल और मसूरी। राज्य के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं:
केदारनाथ
नैनीताल
गंगोत्री
यमुनोत्री
बद्रीनाथ
अल्मोड़ा
ऋषिकेश
हेमकुण्ड साहिब
नानकमत्ता
फूलों की घाटी
मसूरी
देहरादून
हरिद्वार
औली
चकराता
रानीखेत
बागेश्वर
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कौसानी
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