Hindi, asked by santoshyadav65608, 5 months ago

निबंध ....

पर्यावरण प्रदूषण....​

Answers

Answered by diksha30508
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Explanation:

पर्यावरण प्रदूषण को पृथ्वी / वायुमंडल प्रणाली के भौतिक और जैविक घटकों के संदूषण के रुप में परिभाषित किया जाता है। ... प्राकृतिक संसाधनों की किसी भी दर का उपयोग प्रकृति द्वारा स्वयं को पुनर्स्थापित करने की क्षमता से अधिक होने पर वायु, जल और भूमि के प्रदूषण का परिणाम हो सकता है।

जलवायु परिवर्तन के कारण हरितगृह (ग्रीनहाउस) प्रभाव और वैश्विक ताप में वृध्दि, ओजोन परत का क्षय होना, अम्लीय वर्षा होना, भूस्खलन, मृदा का क्षरण आदि चीजें होती हैं, जिसे पर्यावरण का प्रदूषित होना कहते हैं। मनुष्य ने अपने और पर्यावरणीय स्वास्थ्य की कीमत पर प्रकृति के धन का दोहन किया है। इसके अलावा, जो प्रभाव अब तेजी से उभर रहा है, वह सब सैकड़ों या हजारों वर्षों से मनुष्यों की गतिविधियों के कारण है।

इन सबसे ऊपर, अगर हम पृथ्वी पर जीवित रहना और अपना जीवन जारी रखना चाहते हैं, तो हमें उपाय करने होंगे। ये उपाय हमारी अगली पीढ़ी के भविष्य के साथ-साथ हमें सुरक्षित बनाने में मदद करेंगे।

पर्यावरण का अर्थ

पर्यावरणीय प्रदूषण को समझने से पूर्व यह समझना जरुरी है कि, पर्यावरण क्या है और हमें कैसे प्रभावित करता है। ‘‘हर्षकोविट्स’’ के शब्दों में-

‘‘पर्यावरण संपूर्ण वाह्य परिस्थितियों एवं प्रभावों का जीवधारियों पर पड़ने वाला सम्पूर्ण प्रभाव है जो उनके जीवन विकास एवं कार्य को प्रभावित करता है।’’

Answered by Anonymous
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Answer:

पर्यावरण दो शब्दों के मेल से बनता है। परि + आवरण, यानी वह आवरण जो हमें चारों तरफ से घेरे हुए है। नदी, पहाड़, वायु, आकाश, धरती आदि पदार्थ जो हमारे चारों ओर उपस्थित हैं, उसी का नाम पर्यावरण है। ‘प्रदूषण’ शब्द का अर्थ है-हमारे आसपास का वातावरण गंदा होना। आज प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रदूषण चार प्रकार के होते हैं-ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण।।

भूमि पर जनसंख्या के बढ़ते दबाव तथा उद्योग धंधों के लिए भूमि की कमी को पूरा करने के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है। इसी प्रकार कल-कारखानों की चिमनियों से निकलते धुएँ ने वायु को प्रदूषित कर दिया है। औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाला अवशिष्ट पदार्थ जब नदी आदि के पानी में बहा दिया जाता है, तो इस कारण से नदी का पानी प्रदूषित होता है और नगरों में मशीनों, वाहनों आदि के शोर से ध्वनि प्रदूषण होता है।

प्रदूषण के कारण अनेक प्रकार के रोगों का जन्म होता है। वायु प्रदूषण के कारण साँस और आँखों के रोग, खाँसी, दमा आदि होते हैं। प्रदूषित जल के सेवन करने से पेट के रोग हो सकते हैं। ध्वनि प्रदूषण से मानसिक तनाव बढ़ता है। यही नहीं प्रदूषण से उच्च रक्त चाप, हृदय रोग, एलर्जी, चर्म रोग भी हो जाते हैं।

प्रदूषण की रोकथाम के लिए यह आवश्यक है कि वनों की कटाई बंद हो, कारखाने शहरों से दूर स्थापित किए जाएँ। ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ लगाने होंगे तथा अपने आसपास साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखना होगा।

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