Hindi, asked by skmishra510p7xj0t, 1 year ago

निबंध -समाज मे फैल रहे अंडविश्वस को दूर करना

Answers

Answered by rishabkumarsingh2000
1

Answer:

Hi!!!!

निबंध

समाज मे फैल रहे अंडविश्वस को दूर करना

आज की 21वीं सदी में भी देश में अनेक लोग अंधविश्वास में यकीन करते है। ऐसे लोग अक्सर साधुओं, तांत्रिकों के बहकावे में आकर अपना धन, गवां बैठते है। देश में स्त्रियाँ अधिक अंधविश्वास का शिकार है। हमें अंधविश्वास के विषय में जानना बहुत ही आवश्यक है।

अधिकतर स्त्रियाँ पुत्र, सन्तान पाने के लिए बाबाओ के चक्कर लगाती है। ऐसे बाबा, साधु भोली भाली औरतों से मोटी रकम वसूलते है। कई बार उनकी इज्जत पर भी खतरा उठ जाता है। इसलिए कभी भी ऐसे पाखंडी लोगो के बहकावे में नही आना चाहिये। ऐसे लोग हमारे मन में भय पैदा करके अनुचित लाभ उठाते है।

आज भी हमारे समाज में अंधविश्वास को अनेक लोग मानते है। बिल्ली द्वारा रास्ता काटने पर रुक जाना, छीकने पर काम का न बनना, उल्लू का घर की छत पर बैठने को अशुभ मानना, बायीं आँख फड़कने पर अशुभ समझना, नदी में सिक्का फेंकना ऐसी अनेक धारणाएं आज भी हमारे बीच मौजूद है।

आज भी देश में अनेक औरतों को “डायन” बताकर मार दिया जाता है। आश्चर्य की बात है की ऐसे अंधविश्वास में अनपढ़ के साथ-साथ पढ़े लिखे लोग भी पड़ जाते है। इससे कोई लाभ नही होता। सिर्फ नुकसान ही होता है।

अंधविश्वास के कारण

अंधविश्वास के अनेक कारण है। हर व्यक्ति जीवन में किसी न किसी समस्या से घिरा हुआ है। ऐसे में जब भी परेशान लोगो को कोई उपाय का लालच देता है तो लोग ऐसे लोगो के चक्कर में आ जाते है।

किसी को नौकरी नही मिल रही है तो किसी के संतान नही हो रही है। किसी को पुत्र (बेटा) नही हो रहा है, किसी का बिजनेस नही चल रहा है।

रोजमर्रा की ऐसी तमाम समस्याओं को हल करने के लिए लोग साधु, तांत्रिकों, बाबाओ, पाखंडियों के जाल में फंस जाते है। कुछ लोग धैर्य नही रख पाते है और जल्द से जल्द समस्या का हल चाहते है। अंधविश्वास का शिकार अनपढ़ और पढ़े लिखे दोनों वर्ग के लोग होते है।

अंधविश्वास को कैसे रोकें?

अंधविश्वास को रोकने का सफल उपाय है कि जैसे ही इस तरह के काम की खबर मिले हमे पुलिस को सूचित करना चाहिये। हमे समाज में, स्कूल- कॉलेज में जागरूकता फैलानी चाहिये कि किसी भी तरह के अंधविश्वास में न पड़े।

हम सभी को तर्क और विज्ञान के अनुसार सोचना चाहिये। हमारी सोच तर्कवादी होनी चाहिये। हम सभी को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। भाग्य-दुर्भाग्य विधि का विधान है।

यदि दुर्भाग्य नही होगा तो भाग्य को पहचानना मुश्किल हो जाएगा। यदि भाग्य नही होगा तो दुर्भाग्य को पहचानना मुश्किल हो जायेगा। इसी प्रकार अगर बेटियाँ नही होंगी तो बेटों से शादी कौन करेगा। आज समाज में सब कोई बेटा ही चाहता है, मगर सब ये भूल जाते है की बेटों को जन्म देने वाली एक स्त्री ही होती है।

निष्कर्ष

अंधविश्वास से मुक्ति पाने के लिए देश के सभी नागरिको को आगे आना होगा। हर किसी के जीवन में कोई न कोई समस्या है, पर इसका ये अर्थ नही कि उसे हल करने के लिए हम पाखंडी बाबाओ, साधुयों, तांत्रिकों के झांसे में आ जायें। हर नागरिक का कर्तव्य है कि जहाँ कही ऐसे पाखंडी लोग धन उगाही करते हुए दिखाई दे फौरन पुलिस को सूचना दें।

Explanation:

Hope you get the answer.

Follow me.

Similar questions