निबंध :-- विपत्ति कसौटी के कड़े तेहि सांचे मीत
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विपत्ति कसौटी के कड़े तेहि सांचे मीत
कपटी मित्र बड़े घातक होते है. वे मित्रों के पास तभी तक मंडराते रहते है जब तक उनके पास उन पर खर्च करने के पैसे होते हैं, लेकिन दीनता एवं संकट की स्थिति दिखाई देते ही तुरंत साथ छोड़ देती हैं. अपने शत्रुओं की रक्षा कर लेना सरल है, लेकिन कपट्टी मित्रों से बचना मुश्किल. वे मीठे धीमे जहर के समान होते है, ये समुद्र की तह में छिपी हुई चट्टानों की तरह है, जो कभी भी जीवनरूपी जलयान को जलमग्न कर सकती हैं. प्रसिद्ध कवि गोपालदास नीरज ने लिखा हैं.
दूध पिलाये हाथ जो, डसे उसे भी सांप
दुष्ट न त्यागे दुष्टता, कुछ भी कर ले आप
जबकि सच्चे मित्र आलोचक की तरह होते हैं, सच्चे मित्र हमेशा सही मार्ग पर चलने की सलाह देते हैं. चाहे वह कितना भी कंटकपूर्ण क्यों न हो. जो मनुष्य अपनी त्रुटियों से परिचित नहीं रहता है, अपनी दुर्बलताओं का साक्षात्कार नहीं करता, जीवन में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है. सच्चा मित्र ऊपर से रुखा महसूस होता है, कई बार उसमें चिकनाहट एवं मिठास का अभाव लगता है किन्तु अन्तः वही हमारा सर्वाधिक हितैषी होता हैं.
बाइबिल में कहा गया है कि एक विश्वासी मित्र जीवन के लिए महाऔषधि है, क्योंकि वह अपने सुकृत्यों से व्यक्ति के जीवन की सभी बुराइयों को दूर करने की कोशिश करता हैं. भारतीय इतिहास में आदर्श मित्रों के उदाहरणों से भरा पड़ा हैं. कृष्ण-सुदामा, कर्ण दुर्योधन, राम सुग्रीव, राम विभीषण आदि की मित्रता इतिहास प्रसिद्ध हैं.
लेकिन आज के भौतिकवादी युग में सच्चे मित्र का मिलना दुर्लभ है. अधिकांशत मित्र अपना उल्लू सीधा करने के लिए स्वांग रचते है और अपने स्वार्थ की पूर्ति होते ही अंगूठा दिखा देते हैं. जब कोई व्यक्ति विपत्ति में पड़ता है, तब उसके सच्चे मित्र की पहचान होती हैं. इसलिए सच्चे मित्र की पहचान करने के लिए विपत्ति आने का इंतजार न करके मित्रों के सामने कुछ दिनों के लिए विपत्ति का स्वांग रचना चाहिए. जो स्वार्थी मित्र हैं वे धीरे धीरे अलग हो जायेगे और सच्चे मित्र किसी भी परिस्थिति में साथ देने के लिए सदैव तत्पर रहते है. इस भौतिकवादी दुनियां में सच्चा मित्र प्राप्त करना एक महान ईश्वरीय वरदान के समान है, ऐसे व्यक्ति को अपने भाग्य पर गर्व करना चाहिए.