निबंध
यदि मेरे पंछ होतो
Answers
अगर मेरे पंख होते
तो आकाश में उड़ता।
तुमने उन्हे कतर डाला है
मैं उन्हें
अपने ही आस-पास
बिखरा पाता हूँ
मैं असहाय हो सकता हूँ
पर तुम
मेरा सोचना: स्वप्न देखना
नहीं रोक सकते।
मैं अब भी
ठूँठियाें को
फड़फड़ाता हूँ
पर उड़ान नही भर सकता।
मेरी विवशता पर
तुम व्यंग्य हँसी
हँसते हो।
पृथ्वी की उर्वर हरितिमा
मुझे अपनी ओर खींचती है
आकाष की नीलिमा
अपनी तरफ़
किससे पूछूँ
कहाँ जाऊँ
क्या करूँ
अपने खोए पंख पाने को।
त्रासद जीवन की गहराइयाँ
कैसे खोजूँ।
मैं अपनी कच्ची इच्छाओं के
पतझर को
ध्वस्त हुए खंडहरों में
बरसते सुनता हूँ
अब मुझे लगा
पंख देह की शोभा नहीं
मेरा जीवन है।
I wish if I had wings
जब छोटे थे हम मन में एक सवाल आता था आसमान को देख कर, यदि मेरे पंख होते तो क्या होता? अगर होते तो वो बड़े अनोखे होते। वो कभी न थमते, न कभी मुझे किसी के हाथ आते। बस उड़ा ले जाते मुझे जहाँ मेरा मन होता। जब स्कूल जाना होता, तो किसी से बिन बताये ले जाते मुझे ये उस पार्क में जहाँ सबसे ज्यादा झूलें होते और झूलने के लिए अपनी बारी का इंतज़ार भी न करना पड़ता क्योंकि तब सब बच्चे स्कूल में पढ़ रहे होते। ये पंख मिल जाते तो हवाई जहाज़ का सफर मुफ्त में होता। मैगज़ीन में जिस देश की फोटो थी, वो देश देख लिया होता। हवा मेरा ठिकाना होती, बस पैर कभी ज़मीन पे न टिकते। माँ को रोज़ कहीं न कहीं घुमा आते मैं और मेरे ये पंख। अपने बेस्ट फ्रेंड को उसके जन्म दिन पर एक दिन के लिए तोहफ़े में इन पंखों की उड़ान दे दी होती। ठंडी हवाओं में बस मैं और मेरी उड़ान होती। रोड क्रॉस करने में डर नहीं लगता क्योकि क्रॉस ही नहीं करनी पड़ती। बस हवा में हर जगह पहुँच होती मेरी। रुई जैसे बादल को अपने हाथों से छुने को मिलता। किसी बादल को आइस-क्रीम तो किसी को साइकिल बना लेते हाथों से।