Hindi, asked by MrSinister07, 6 months ago

निबंधकार ने किस तरह कोमल और कठोर दोनों भावों का सम्मिश्रण शिरीष के माध्यम से किया है?

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Answered by pratyush15899
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Explanation:

उत्तर:

प्रत्येक वस्तु अथवा व्यक्ति में दो भाव एक साथ विद्यमान रहते हैं। उसमें कोमलता भी रहती है और कठोरता भी। संवेदनशील प्राणी कोमल भावों से युक्त होगा लेकिन समाज में अपने को बनाए रखने के लिए कठोर भावों का होना भी अनिवार्य है। ठीक यही बात शिरीष के फूल पर भी लागू होती है। यद्यपि संस्कृत साहित्य में शिरीष के फूल को अत्यंत कोमल माना गया है तथापि लेखक का कहना है कि इसके फल बहुत कठोर (मजबूत) होते हैं। वे नए फूलों के आ जाने पर भी नहीं निकलते, वहीं डटे रहते हैं।

कोमलता और कठोरता के माध्यम से इस निबंध के लालित्य को इन शब्दों में निबंधकार ने प्रस्तुत किया है-”शिरीष का फूल संस्कृत साहित्य में बहुत कोमल माना गया है। मेरा अनुमान है कि कालिदास ने यह बात शुरू-शुरू में प्रचार की होगी। कह गए हैं, शिरीष पुष्प केवल भौंरों के पदों का कोमल दबाव सहन कर सकता है, पक्षियों का बिलकुल नहीं। …. शिरीष के फूलों की कोमलता देखकर परवर्ती कवियों ने समझा कि उसका सब कुछ कोमल है। यह भूल है। इसके फल इतने मज़बूत होते हैं कि नए फूलों के निकल आने पर भी स्थान नहीं छोड़ते। जब तक नए फल, पत्ते मिलकर धकियाकर उन्हें बाहर नहीं कर देते तब तक वे डटे रहते हैं।

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Answered by Anonymous
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