Hindi, asked by Anonymous, 11 months ago

निबन्ध  लेखन - अहिंसा का  महत्व

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Answered by snehil07
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अहिंसा का सामान्य अर्थ है 'हिंसा न करना'। इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हिंसा न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म एवंम हिन्दू धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म: (अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया है। आधुनिक काल में महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिये जो आन्दोलन चलाया वह काफी सीमा तक अहिंसात्मक था।

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Answered by durvang24
45

Answer:

योग के प्रथम अंग का प्रथम सूत्र है- अहिंसा। अहिंसा से ही योग की शुरुआत है। अहिंसा का भाव नहीं तो योग में आगे बढ़ना भी मुश्किल है।

हम जब भी अहिंसा की बात करते हैं तो अकसर यह खयाल आता है कि किसी को शारीरिक या मानसिक दुख न पहुँचाना अहिंसा है। मन, वचन और कर्म से किसी की हिंसा न करना अहिंसा कहा जाता है। यहाँ तक कि वाणी भी कठोर नहीं होनी चाहिए। फिर भी अहिंसा का इससे कहीं ज्यादा गहरा अर्थ है।

भगवान महावीर, भगवान बुद्ध और महात्मा गाँधी की अहिंसा की धारणाएँ अलग-अलग थी। फिर भी महावीर और बुद्ध की अहिंसा से महात्मा गाँधी प्रेरित थे। उक्त सभी ने प्राचीन योग शास्त्र के अहिंसा के सूत्र को विस्तृत और गूढ़ आयाम दिया।

अहिंसा का महत्व : पातंजलि योग दर्शन के पाद 2 सूत्र 35 में कहा गया है कि- अहिंसा प्रतिष्ठायाँ तत्सन्निधौ बैर त्यागः अर्थात अहिंसा की साधना से बैर भाव निकल जाता है। बैर भाव के जाने से काम, क्रोध आदि वृत्तियों का निरोध होता है। वृत्तियों के निरोध से शरीर निरोगी बनता है। मन में शांति और आनंद का अनुभव होता है। सभी को मित्रवत समझने की दृष्टि बढ़ती है। सही और गलत में भेद करने की ताकत आती है।

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