Hindi, asked by zakiralitreader, 7 months ago

नाची अचानक ही उठे ब्लू पावस वन मोर इसमें कौन सा अलंकार है​

Answers

Answered by shishir303
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सही जवाब है...

● विभावना अलंकार ●

इन पंक्तियों में विभावना अलंकार है, क्योंकि यहाँ पर बिना कारण के ही कार्य होना प्रकट हो रहा है। अर्थात मोर बिना सावन और वर्षा के नाच रहा है, जबकि मोर सावन की वर्षा ऋतु में ही नृत्य करने के लिये जाने जाते हैं।

स्पष्टीकरण:

नाचि अचानक हीं उठे बिनु पावस बन मोर।

जानति हौं, नन्दित करी यहि दिसि नंद-किसोर

कवि बिहारी के ‘बिहारी सतसई’ काव्य की इन पंक्तियों में ‘विभावना अलंकार’ है। विभावना अलंकार वहाँ होता है, काव्य में बिना किसी कारण के ही कार्य होने का वर्णन हो। अर्थात विभावना अलंकार की परिभाषा के अनुसार बिना किसी कारण के भी कार्य होने की प्रतीति होने पर विभावना अलंकार प्रकट होता है।

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अलंकार से संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼  

1. अरे वर्ष के हर्ष! बरस तू, बरस-बरस रसधार।  

2. दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।  

3. दाहिना दयो-दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।  

4. मौत, न नीति, गलीतु हवै, जौ धरियै धनु जोरि। खाएँ खरचैं जो जुरै, तौ जरिये करोरि।  

5. अति अगाधु अति औधरौ, नदी कूप सरू बाइ।  

अलंकार बताइये।

https://brainly.in/question/18961253  

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सखि सोहत गोपाल के, उर गुंजन की माल।  

बाहिर लसति मानो पिए दावानल की ज्वाल।।  

कौन सा अलंकार है ?  

brainly.in/question/10504474  

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