नीचे लिखे वाक्यों में संज्ञा शब्दों को रेखांकित करो तथा उन्हें उनके भेद के अनुसार दिए गए स्थान पर लिखो
1. गरीबों पर दया करनी चाहिए।
2. सदा सच्चाई की राह पर चलो।
3. मीनार की ऊँचाई बहुत अधिक है।
4. रोहन बचपन से दिल्ली में रहता है।
5. अपनी बोली में मिठास लाओ।
6. गिलास में शरबत है।
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Answers
Answer:
see below there is full explanation -
Explanation:
संज्ञा परिभाषा और उदाहरण वाक्य
प्रकार
प्रयोग
संज्ञा के आवश्यक धर्म
लिंग
वचन
कारक
विभिन्न परसर्गों का प्रभाव और प्रयोग
संज्ञा की रूप–रचना
“किसी वस्तु, व्यक्ति, स्थान या भाव के नाम को संज्ञा कहते हैं।”
जैसे–अंशु, प्रवर, चेन्नई, भलाई, मकान आदि।
उपर्युक्त उदाहरण में, अंशु और प्रवर : व्यक्तियों के नाम
चेन्नई : स्थान का नाम
मकान : वस्तु का नाम और
भलाई : भाव का नाम है।
संज्ञा को परम्परागत रूप से (प्राचीन मान्यताओं के आधार पर) पाँच प्रकारों और आधुनिक मान्यताओं के आधार पर तीन प्रकारों में बाँटा गया है।जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) : जिन संज्ञाओं से एक जाति के अन्तर्गत आनेवाले सभी व्यक्तियों, वस्तुओं, स्थानों के नामों का बोध होता है, जातिवाचक संज्ञाएँ कहलाती हैं। जैसे
गाय : गाय कहने से पहाड़ी, हरियाणी, जर्सी, फ्रीजियन, संकर, देशी, विदेशी, काली, उजली, चितकबरी–इन सभी प्रकार की गायों का बोध होता है; क्योंकि गाय जानवरों की एक जाति हुई।
लड़का : इसमें सभी तरह और सभी जगहों के लड़के आते हैं–रामू, श्यामू, प्रखर, संकेत, मोहन, पीटर, करीम आदि–क्योंकि, मनुष्यों में एक खास अवस्थावाले मानवों की एक जाति हुई–लड़का।
नदी : इसके अंतर्गत सभी नदियाँ आएँगी–गंगा, यमुना, सरयू, कोसी, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, ह्वांगहो, टेन्नेसी, नील, दजला, फुरात वे सभी।
पहाड़ : इस जाति के अंतर्गत हिमालय, आल्प्स, फ्यूजियामा, मंदार–ये सभी पहाड़ आएँगे।
शहर : यह स्थानसूचक जातिवाचक संज्ञा है। इसके अंतर्गत तमाम शहर आएँगे–दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, मुम्बई, बेंगलुरू, वाराणसी, पटना, कानपुर, लखनऊ ये सभी।
नोट : इसी जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आधुनिक मान्यताओं के आधार पर द्रव्यवाचक और समूहवाचक संज्ञाओं को रखा गया है।व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) : व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ उन्हीं वस्तुओं, व्यक्तियों, स्थानों की जातियों में से खास का नाम बताती हैं। यानी, जो संज्ञाएँ किसी विशेष वस्तु, व्यक्ति या स्थान के नामों का बोध कराए, व्यक्तिवाचक कहलाती हैं।
उदाहरण हम ऊपर की जातियों से ही खास–खास का नाम चुनते हैं–
जर्सी गाय, प्रखर कुमार, ह्वांगहो, हिमालय पर्वत, बेंगुलुरू आदि। आप देख रहे हैं कि ‘जर्सी गाय’ से एक खास प्रकार की गाय का; ‘प्रखर कुमार’ से एक खास व्यक्ति का; ‘ह्वांगहो’ से एक खास नदी का; ‘हिमालय पर्वत’ से एक खास पर्वत का और ‘बेंगलुरू’ से एक खास शहर का बोध हो रहा है। अतएव, ये सभी व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं।
भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) : जिन संज्ञाओं से पदार्थों या व्यक्तियों के धर्म, गुण, दोष, आकार, अवस्था, व्यापार या चेष्टा आदि भाव जाने जाएँ, वे भाववाचक संज्ञाएँ होती हैं। भाववाचक संज्ञाएँ अनुभवजन्य होती हैं, ये अस्पर्शी होती हैं।
उदाहरण क्रोध, घृणा, प्रेम, अच्छाई, बुराई, बीमारी, लंबाई, बुढ़ापा, मिठास, बचपन, हरियाली, उमंग, सच्चाई आदि। उपर्युक्त उदाहरणों में से आप किसी को छू नहीं सकते; सिर्फ अनुभव ही कर सकते हैं।
कुछ भाववाचक संज्ञाएँ स्वतंत्र होती हैं तो कुछ विभिन्न प्रत्ययों को जोड़कर बनाई जाती हैं। उपर्युक्त उदाहरणों को ही हम देखते हैं–
क्रोध, घृणा, प्रेम, उमंग आदि स्वतंत्र भाववाचक हैं; किन्तु अच्छाई (अच्छा + आई), बुराई (बुरा + आई), बीमारी (बीमार + ई), लम्बाई (लम्बा + आई), बुढ़ापा (बूढ़ा + पा), मिठास (मीठा + आस), बचपन (बच्चा + पन), हरियाली (हरी + आली), सच्चाई (सच्चा + आई) प्रत्ययों के जोड़ने से बनाई गई भाववाचक संज्ञाएँ हैं।
नोट : भाववाचक संज्ञाओं के निर्माण से संबंधित बातें प्रत्यय–प्रकरण में दी गई हैं।
समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun) : सभा, संघ, सेना, गुच्छा, गिरोह, झुण्ड, वर्ग, परिवार आदि समूह को प्रकट करनेवाली संज्ञाएँ ही समूहवाचक संज्ञाएँ हैं; क्योंकि यह संज्ञा समुदाय का बोध कराती है।
द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) : जिन संज्ञाओं से ठोस, तरल, पदार्थ, धातु, अधातु आदि का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं। द्रव्यवाचक संज्ञाएँ ढेर के रूप में मापी या तोली जाती हैं। ये अगणनीय हैं।
जैसे–
लोहा, सोना, चाँदी, तेल, घी, डालडा, पानी, मिट्टी, सब्जी, फल, अन्न, चीनी, आटा, चूना, आदि।