नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर सबसे उचित विकल्प चुनिए वर्तमान शिक्षा प्रणाली जीवन के लिए घोर अभिशाप से धो रही है, शिक्षा मनुष्य को सुसंस्कृत एवं
स्वावलंबी बनाने का साधनों नाचे किंतु वर्तमान शिक्षा में यह गुण ही नहीं है आज का सुरक्षित युवक
वर्ग न केवल दसरों के लिए बल्कि स्वयं अपने लिए भी दंखदाई बन रहा है। देश में बेरोजगारों भैरव बेरोजगारों इंजीनियर वकील वैज्ञानिकता डॉक्टरों की विशाल संख्या देश के
लिए अभिशाप बन गई है शिक्षा ने उनमें सादा जीवन उच्च विचार और सेवा भरती उत्पन्न नहीं कि
अन्यथा वे गांवों को स्वर्ग बना कर राष्ट्रहित कर पाते देश की सच्ची सेवा कर पाते वर्तमान शिक्षा
प्रणाली में आक्रोशित तत्व की प्रधानता है जबकि भारत माता ग्रामवासिनी है ग्राम विकास की
योजनाओं को शहरी शिक्षण तत्व कैसे पूरा कर सकते हैं।
उल्टा इससे गांव की ओर मुक्ता ही जागृत हुई है भारत जनतंत्र का उपासक जीवन शैली भारत ने
अपनाई जनता की शिक्षा का माध्यम जनता की भाषा होनी चाहिए विदेशी भाषा के माध्यम से भारत
का नागरिक विदेशी आचार विचार जीवन पद्धति सभ्यता और संस्कृति ग्रहण करेगा।
उपनिषद और वेदों का ज्ञान के आधार है अपितु इसलिए करते हैं कि मैक्स मूलर और इसकी प्रशंसा
की है हम अपनों को संस्कृत में नहीं अंग्रेजों के माध्यम से पढ़कर अंग्रेजी के माध्यम से पढ़कर गौरान
वित्त होते हैं वर्तमान शिक्षा प्रणाली जीवन के लिए गौरव से सिद्ध हो रही है।
1- इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए ?
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इस गंधर्व का उचित शीर्षक है स्वलमबि मनुष्य
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