नीचे दिए गद्यांश को ध्यान से पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-(5अंक)
जिसे भारतीय संस्कृत कहा जाना चाहिए वह आज भारतीय मानसिक क्षितिज में क्रियाशील नहीं है। आज एक प्रकार की
अव्यवस्थित व्यावसायिक संस्कृति व्याप्त है, जिसकी जड़ शायद यूरोप में है। भारतीयों के सार्वजनिक व्यवहार में गुरु शिष्य
संबंध का भी तदनुरूप परिवर्तन हो गया है। यहां गुरु वेतन भोगी नहीं होते थे और ना शिष्य को ही शुल्क देना पड़ता था। पैसे
देकर विद्या खरीदने की यह क्रय विक्रय पद्धति निस्संदेह इस भारतीय मिट्टी की उपज नहीं है। यहां शिक्षणालय एक प्रकार के
आश्रम अथवा मंदिर के समान थे। गुरु को साक्षात् परमेश्वर ही समझा जाता था। शिष्य पुत्र से अधिक प्रिय होते थे। यहां
सम्मान मिलना ही शक्ति पाने का रहस्य है।प्राचीन काल में गुरु की शिक्षा दान क्रिया उनकी आध्यात्मिक अनुष्ठान थी, परमेश्वर
प्राप्ति का उनका वह एक माध्यम था। वह आज पेट पालने का जरिया बन गई है।
प्र.1क- लेखक ने अपनी संस्कृति में किस प्रकार का परिवर्तन महसूस किया है और इसका कारण क्या बताया है?
ख-उपरोक्त गद्यांश में आए शब्द तदनुरूप, परमेश्वर,शिक्षणालय, संस्कृति का संधि विच्छेद कीजिए-
ग- गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए-
Answers
Answered by
0
Explanation:
h ubvuctfctcigictzjbictdycivitxzjbivyxhjbix when obycyucvbhjf for a vujfyhcj
Similar questions