नीचे दिए सवालों को एक वाक्य में जवाब लिखिए:
(1) बुढ़िया के बेटे का नाम क्या है?
Answers
बुढ़िया के बेटे का नाम भगवाना था। खरबूजे बेचने आई महिला इसलिए फफक-फफककर रोए जा रही थी क्योंकि एक दिन पहले ही उसका जवान बेटा साँप के डसने से चल बसा था। उसके घर में पोते-पोती और बीमार बहू के लिए कुछ भी खाने को न था। शोक मनाने की जगह खरबूजे बेचने की विवशता और बेटे की मृत्यु के दुख के कारण वह फफक-फफक कर रोए जा रही थी।
Answer:
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निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए –
1. किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
उत्तर:- किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें समाज में उसका दर्जा और अधिकार का पता चलता है तथा उसकी अमीरी-गरीबी श्रेणी का पता चलता है।
2. खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूज़े क्यों नहीं खरीद रहा था?
उत्तर:- उसके बेटे की मृत्यु के कारण लोग उससे खरबूजे नहीं खरीद रहे थे।
3. उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
उत्तर:- उस स्त्री को देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। उनके मन में उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी।
4. उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर:- उस स्त्री का लड़का एक दिन मुँह-अंधेरे खेत में से बेलों से तरबूजे चुन रहा था की गीली मेड़ की तरावट में आराम करते साँप पर उसका पैर पड़ गया और साँप ने उस लड़के को डस लिया। ओझा के झाड़-फूँक आदि का उस पर कोई प्रभाव न पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।
5. बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
उत्तर:- बुढिया का बेटा मर गया था इसलिए बुढ़िया को दिए उधार को लौटने की कोई संभावना नहीं थी। इस वजह से बुढ़िया को कोई उधार नहीं देता था।
• प्रश्न-अभ्यास (लिखित)
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए –
6. मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्व है?
उत्तर:- मनुष्य के जीवन में पोशाक का बहुत महत्व है। पोशाकें ही व्यक्ति का समाज में अधिकार व दर्जा निश्चित करती हैं। पोशाकें व्यक्ति को ऊँच-नीच की श्रेणी में बाँट देती है। कई बार अच्छी पोशाकें व्यक्ति के भाग्य के बंद दरवाज़े खोल देती हैं। सम्मान दिलाती हैं।
7. पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
उत्तर:- जब हमारे सामने कभी ऐसी परिस्थिति आती है कि हमें किसी दुखी व्यक्ति के साथ सहानुभूति प्रकट करनी होती है, परन्तु उसे छोटा समझकर उससे बात करने में संकोच करते हैं।उसके साथ सहानुभूति तक प्रकट नहीं कर पाते हैं। हमारी पोशाक उसके समीप जाने में तब बंधन और अड़चन बन जाती है।
8. लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
उत्तर:- वह स्त्री घुटनों में सिर गड़ाए फफक-फफककर रो रही थी। इसके बेटे की मृत्यु के कारण लोग इससे खरबूजे नहीं ले रहे थे। उसे बुरा-भला कह रहे थे। उस स्त्री को देखकर लेखक का मन व्यथित हो उठा। उनके मन में उसके प्रति सहानुभूति की भावना उत्पन्न हुई थी। परंतु लेखक उस स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि उसकी पोशाक रुकावट बन गई थी।
9. भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर:- भगवाना शहर के पास डेढ़ बीघा भर ज़मीन में खरबूज़ों को बोकर परिवार का निर्वाह करता था। खरबूज़ों की डलियाँ बाज़ार में पहुँचाकर लड़का स्वयं सौदे के पास बैठ जाता था।
10. लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूज़े बेचने क्यों चल पड़ी?
उत्तर:- बुढ़िया बेटे की मृत्यु का शोक तो प्रकट करना चाहती है परंतु उसके घर की परिस्थिति उसे ऐसा करने नहीं दे रही थी। इसका सबसे बड़ा कारण है, धन का अभाव। उसके बेटे भगवाना के बच्चे भूख के मारे बिलबिला रहे थे। बहू बीमार थी। यदि उसके पास पैसे होते, तो वह कभी भी सूतक में सौदा बेचने बाज़ार नहीं जाती।
11.
निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए –
17. जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
उत्तर:- प्रस्तुत कहानी समाज में फैले अंधविश्वासों और अमीर-गरीबी के भेदभाव को उजागर करती है। यह कहानी अमीरों के अमानवीय व्यवहार और गरीबों की विवशता को दर्शाती है। मनुष्यों की पोशाकें उन्हें विभिन्न श्रेणियों में बाँट देती हैं। प्राय: पोशाक ही समाज में मनुष्य का अधिकार और उसका दर्ज़ा निश्चित करती है। वह हमारे लिए अनेक बंद दरवाज़े खोल देती है,
परंतु कभी ऐसी भी परिस्थिति आ जाती है कि हम ज़रा नीचे झुककर समाज की निचली श्रेणियों की अनुभूति को समझना चाहते हैं। उस समय यह पोशाक ही बंधन और अड़चन बन जाती है। जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास पारिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।