नीचे दी गई पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए-
(i) बस में जिससे हो जाते हैं प्राणी सारे।
जन जिससे बन जाते हैं आँखों के तारे।
(ii) निपट बना देने वाली है बिगड़ी बातें।
होती मीठी बोली की करतूत निराली।
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Answer:
प्रस्तुत कविता आयोध्या सिंह उपाध्याय जी की हैं
कवीने मिठी बोली के बारे मे अपने विचार प्रगल्भता तथा आसानिसे प्रस्तुत किये हैं
कवी कहते हैं की
1. हमारी वानी की मिठी बोली इतनी सहज होती हैं की हम दुनिया के किसी भी प्राणी को अपने वश मे कर सकते हैं , इसी मिठी बोली की सहारे हम लोगोंके आखोंके तारे यांनी उंकेलिये एक अच्चे इंसान के रूप मे अपनी प्रतिभा निर्माण करते हैं
2. कवी कहते हैं की सारी बिगडी बतोंको सरल करणे की ताकद इस मिठी बोली मे होती हैं तथा ईसी कारण हम कह सकते हैं की इस की कर्तुत ही निराली हैं .
यह रही पुरी कविता
मीठी बोली / अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ »
बस में जिससे हो जाते हैं प्राणी सारे।
जन जिससे बन जाते हैं आँखों के तारे।
पत्थर को पिघलाकर मोम बनानेवाली
मुख खोलो तो मीठी बोली बोलो प्यारे।।
रगड़ो, झगड़ो का कडुवापन खोनेवाली।
जी में लगी हुई काई को धानेवाली।
सदा जोड़ देनेवाली जो टूटा नाता
मीठी बोली प्यार बीज है बोनेवाली।।
काँटों में भी सुंदर फूल खिलानेवाली।
रखनेवाली कितने ही मुखड़ों की लाली।
निपट बना देनेवाली है बिगड़ी बातें
होती मीठी बोली की करतूत निराली।।
जी उमगानेवाली चाह बढ़ानेवाली।
दिल के पेचीले तालों की सच्ची ताली।
फैलानेवाली सुगंध सब ओर अनूठी
मीठी बोली है विकसित फूलों की डाली।।