Hindi, asked by kaushlendravij1887, 23 hours ago

नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर दीजिए,यदि आप इस गद्यांश का चयन करते हैं तो कृपया उत्तर पुस्तिका में लिखिए कि आप प्रश्न संख्या में दिए गए गद्यांश-1 पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिख रहे हैं।अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों ने कुछ नियमों का प्रावधान किया है। इन नियमों में वाणी और व्यवहार की शुद्धि, कर्तव्य और अधिकार का समुचित निर्वाह शुद्धतम पारस्परिक सद्भाव और सेवा की भावना आदि नियम बहुत महत्वपूर्ण माने गए हैं। ये सभी नियम यदि एक व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के रूप में भी अनिवार्यमाने जाएँ तो उसका अपना जीवन सुखी और आनंदमय हो सकता है। सभी गुणों का विकास एक बालक में यदि उसकी बाल्यावस्था से ही किया जाए तो वह अपने देश का श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण वह अपने परिवार, आस पड़ोस, विद्यालय में अपने सहपाठियों एवं अध्यापकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा।'वाणी एवं व्यवहार की मधुरता सभी के लिए सुखदायक होती है, समाज में हार्दिक सद्भाव की वृद्धि करती है किंतु अहंकारहीन व्यक्ति ही स्निग्ध वाणी और शिष्ट व्यवहार का प्रयोग कर सकता है। अहंकारी और दंभी व्यक्ति सदा अशिष्ट वाणी और व्यवहार का अभ्यासी होता है। जिसका परिणाम यह होता है कि ऐसे आदमी के व्यवहार से समाज में शांति और सौहार्द का वातावरण नहीं बनता।जिस प्रकार एक व्यक्ति समाज में रहकर अपने व्यवहार से कर्तव्य और अधिकार के प्रति सजग रहता है, उसी तरह देश के प्रति भी उसका व्यवहार कर्तव्य और अधिकार की भावना से भावित रहना चाहिए। उसकाकर्तव्य हो जाता है कि न तो वह स्वयं कोई ऐसा काम करे और न ही दूसरों को करने दे, जिसमें देश के सम्मान, संपति और स्वाभिमान को ठेस लगे।समाज एवं देश में शांति बनाए रखने के लिए धार्मिक सहिष्णुता भी बहुत आवश्यक है। यह वृति तभी आ सकती है जब व्यक्ति संतुलित व्यक्तित्व का हो। वह आंतरिक व बाहरी संघर्ष से परे सामाजिकता की अनुभूति से परिपूर्ण व्यक्तित्व होना चाहिए।अहंकारी और दंभी व्यक्ति सदा अभ्यासी होता है(क) अशिष्ट वाणी और व्यवहार का(ख) मधुर एवं अशिष्ट व्यवहार का(ग) अशिष्ट वाणी एवं व्यवहार की शुद्धि का(घ) स्निग्ध वाणी और अशिष्ट व्यवहार का

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Answered by smeenakshi858
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Answer:

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Answered by qwstoke
0

अहंकारी और दंभी व्यक्ति सदा अभ्यासी होता है अशिष्ट वाणी और व्यवहार का

सही विकल्प है ( ) अशिष्ट वाणी एवं व्यवहार का

  • गद्यांश में लेखक का कहना है कि अच्छा नागरिक बनने के लिए भारत के प्राचीन विचारकों कुछ नियम बनाए है।
  • ये नियम है वाणी व व्यवहार में शुद्धि , कर्तव्य व अधिकार का समुचित निर्वाह ।
  • यदि बाल्यावस्था से ही एक बालक में इन गुणों का विकास किया जाए तो वह अपने देश का श्रेष्ठ नागरिक बन सकता है। इन गुणों के कारण हो वह अपने परिवार, पास पड़ोस , विद्यालय व सहपाठियों , शिक्षकों के प्रति यथोचित व्यवहार कर सकेगा।
  • मधुर वाणी वाला व्यक्ति सभी का मन जीत लेता है।

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