Hindi, asked by rekha1277, 1 year ago

नागरी को देवनागरी क्यों कहते है ?लेखक इस संबंध में क्या बताता है ?

Answers

Answered by dewangananushka6264
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Answer:

एक मत के अनुसार गुजरात के नागर ब्राह्मणों ने पहले-पहल नागरी लिपि का इस्तेमाल किया। इसलिए इसका नाम नागरी पड़ा। एक दूसरे मत के अनुसार बाकी नगर सिर्फ नगर है, परन्तु काशी देवनगरी है। इसलिए काशी में प्रयुक्त लिपि का नाम देवनागरी पड़ा।

Answered by Mithalesh1602398
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Answer:

एक मत के अनुसार गुजरात के नागर ब्राह्मणों ने पहले-पहल नागरी लिपि का इस्तेमाल किया। इसलिए इसका नाम नागरी पड़ा। एक दूसरे मत के अनुसार बाकी नगर सिर्फ नगर है, परन्तु काशी देवनगरी है। इसलिए काशी में प्रयुक्त लिपि का नाम देवनागरी पड़ा।

Explanation:

Step : 1 एक मत के अनुसार देवनगर (काशी) में प्रचलन के कारण इसका नाम देवनागरी पड़ा। भारत तथा एशिया की अनेक लिपियों के संकेत देवनागरी से अलग हैं, परन्तु उच्चारण व वर्ण-क्रम आदि देवनागरी के ही समान हैं, क्योंकि वे सभी ब्राह्मी लिपि से उत्पन्न हुई हैं (उर्दू को छोड़कर)।नागरी शब्द नागर से निर्मित हुआ है जिसका अर्थ है -नगर का अर्थात् सभ्य, शिष्ट और शिक्षित। वस्तुतः जिस लिपि में सभ्य, शिष्ट, सुसंस्कृत और परिष्कृत रुचि वाले व्यक्यिों द्वारा साहित्य रचा और लिखा गया ।

Step : 2  नागरी लिपि का लेखक कौन है ? उत्तर:- नागरी लिपि के लेखक गुणाकर मुले है . गुणाकर मुले का जन्म 1935 ई.नागरी लिपि के आरंभिक लेख हमें दक्षिण भारत से ही मिले हैं। राजराजा व राजेन्द्र जैसे प्रतापी चोल राजाओं के सिक्कों पर नागरी अक्षर देखने को मिलते हैं।

Step : 3  दक्षिण भारत में नागरी लिपि के लेख आठवीं सदी से मिलने लग जाते हैं और उत्तर भारत में नौवीं सदी से।प्रसिद्ध बौद्ध ग्रंथ "ललित विस्तार" में वर्णित 'नागलिपि' से 'नागरी' नामकरण हुआ। नगरों में प्रचलित होने के कारण इस लिपि को नागरी कहा गया। नागरी में देव शब्द जुड़ जाने से 'देवनागरी' हो गया। देवनगरी काशी में इस लिपि का प्रचलन अधिक होने के कारण प्राचीन नागरी को ही 'देवनागरी' की संज्ञा मिली।

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