नेहरू विदेश नीति के संचालन को स्वतंत्रता का एक अनिवार्य संकेतक क्यों मानते थे? अपने उत्तर में दो कारण बताएं और उनके पक्ष में उदाहरण भी दे I
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"जवाहरलाल नेहरू भारत की विदेश नीति के निर्माता थे। उन्होंने शक्तिशाली व्यक्तिगत भूमिका तथा एक शक्तिहीन संस्थागत संरचना को जन्म दिया। वे विदेश नीति के संचालन को स्वतंत्रता का एक अनिवार्य संकेतक इसलिए मानते थे क्योंकि उनका विचार था कि अपनी विदेश-नीति का संचालन वही देश कर सकता हैं जो स्वतंत्र हो। इसके विपरीत एक गुलाम देश ऐसा नहीं कर सकता हैं। आज़ादी से पूर्व भारत की विदेश-नीति अंग्रेजी सरकार के हाथों में हुआ करती थी।
नेहरू जी द्वारा अपनायी गई विदेश नीति के तीन बड़े उद्देश्य थे- कठिन संघर्ष से प्राप्त संप्रभुता को बचाए रखना, क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना और तेज रफ्तार से आर्थिक विकास करना। नेहरू इन उद्देश्यों को गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाकर हासिल करना चाहते थे।
आजाद भारत की विदेश नीति को अपनाने का दूसरा कारण यह था की इससे देश लोकतंत्र और कल्याणकारी राज्य की स्थापना के साथ साथ अंतर्राष्ट्र्य स्तर पर उपनिवेशवाद तथा रंग-भेद और जातीय भेदभाव का डटकर सामना करना था।"