नाइट्रिक अम्ल निर्माण की ओस्टवाल्ड विधि द्वारा सचित्र वर्णन कीजिए
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Explanation:
ओस्टवाल्ड विधि- इसमें अमोनिया गैस वायु से ऑक्सीकृत होकर नाइट्रिक ऑक्साइड बनाती है जो फिर ऑक्सीकृत होकर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड देती है। यह जल से क्रिया करके नाइट्रिक अम्ल में परिवर्तित हो जाती है।शुद्ध NH3 व वायु का मिश्रण 1 : 9 के अनुपात में परिवर्तक में प्रवाहित किया जाता है। यहाँ प्लेटिनम की जाली 650° – 800°C पर गर्म रखी जाती है जो उत्प्रेरक का कार्य करती है। यहाँ NH3 का 90% भाग ऑक्सीकृत होकर नाइट्रिक ऑक्साइड बनाता है। अब गैसों का मिश्रण ऑक्सीकारक स्तम्भ में पहुँचाया जाता है जहाँ NO ऑक्सीकृत होकर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड देती है। NO2 अवशोषण स्तम्भ में जल में अवशोषित होकर नाइट्रिक अम्ल बनाती है। इस प्रकार प्राप्त नाइट्रिक अम्ल तनु होता है। इसका आसवन करने पर एक निश्चित क्वथनांक का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे साधारण सान्द्र नाइट्रिक अम्ल कहते हैं।तनु नाइट्रिक अम्ल की लेड पर अभिक्रिया– इस अभिक्रिया के फलस्वरूप लेड नाइट्रेट NO व जल बनता है।Cu पर क्रिया 1. गर्म और सान्द्र HNO3 कॉपर से क्रिया करके Cu NO32 N2 और जल देता है। 5Cu + 12HNO3 → 5Cu NO32 + N2 ↑ + 6H2O 2. ठण्डा और तनु HNO कॉपर से क्रिया करके CuNO32 N2O और जल देता है। 4Cu + 10HNO3 → 4Cu NO32 + N2O ↑ + 5H2O