Hindi, asked by potea7077, 5 months ago

न जाने किस अदृश्य पड़ोस से
निकल कर आता था वह
खेलने हमारे साथ-
रतन, जो बोल नहीं सकता था
खेलता था हमारे साथ
एक टूटे खिलौने की तरह
देखने में हम बच्चों की ही तरह
था वह भी एक बच्चा।
लेकिन हम बच्चों के लिए अजूबा था
क्योंकि हमसे भिन्न था।
थोड़ा घबराते भी थे हम उससे
क्योंकि समझ नहीं पाते थे
उसकी घबराहटों को,
न इशारों में कही उसकी बातों को,
न उसकी भयभीत आँखों में
हर समय दिखती
उसके अंदर की छटपटाहटों को।
जितनी देर वह रहता
पास बैठी उसकी माँ
निहारती रहती उसका खेलना।
अब जैसे-जैसे
कुछ बेहतर समझने लगा हूँ
उनकी भाषा जो बोल नहीं पाते हैं
याद आती
रतन से अधिक
उसकी माँ की आँखों में
झलकती उसकी बेबसी।
कुँवर नारायण
The question is
रत्न क्या सोचकर घबराता होगा ?​

Answers

Answered by kartik458061
1

Explanation:

Puri kavita ko dekh kar

Answered by gopidshah
2

Answer:

answer is

Explanation:

उसकी घबराहटों को,

न इशारों में कही उसकी बातों को,

न उसकी भयभीत आँखों में

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