History, asked by akeerapraveen3065, 10 months ago

निजी पत्रों और आत्मकथाओं से किसी व्यक्ति के बारे में क्या पता चलता है? ये स्रोत सरकारी ब्योरों से किस तरह भिन्न होते हैं?

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Answered by shishir303
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निजी पत्र और आत्मकथा किसी व्यक्ति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के सबसे विश्वसनीय स्रोत होते हैं। पत्रों और आत्मकथा से संबंधित व्यक्ति की विचारधारा एवं उसके जीवन चरित्र तथा उसकी सोच का सही अनुमान लगाया जा सकता है। जबकि सरकारी ब्यौरे तत्कालीन परिस्थिति के बारे में अनुमान लगाने के लिए काम आते हैं। सरकारी ब्यौरे किसी व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरे परिदृश्य व तत्कालीन परिस्थिति का अनुमान लगाने में उपयोगी होते हैं।  

निजी पत्र में संबंधित व्यक्ति के विचारों के दर्शन होते हैं। इन पत्तों में उसकी निजी बातें जानने को मिलती हैं, जिसे उसने सार्वजनिक नहीं किया हुआ होता है। यह पत्र उसके स्वभाविक विचारों की प्रस्तुति होते हैं। निजी पत्र में हम अक्सर अपने मनोभावों को उकेतरे हैं, इसलिए निजी पत्र संबंधित व्यक्ति के मनोभावों का दर्पण होते हैं। कुछ ऐसे पत्र जो इसी विषय से संबंधित होते हैं और प्रसिद्ध व्यक्तियों को आमजन द्वारा या प्रसिद्ध व्यक्ति द्वारा आमजन को लिखे जाते हैं, वह पत्र जनता के लिए भी होते हैं।  

आत्मकथा से संबंधित व्यक्ति के जानने- समझने में अध्ययन में मदद मिलती है आपको कथा किसी व्यक्ति का संबंध में उसके जीवन का दौरा देती हैं आत्मकथा विवरण की दृष्टि से समृद्ध दस्तावेज होता है यह व्यक्ति संपूर्ण जीवन का लेखा जोखा होता है जन्म स्थान उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि उसकी शिक्षा उसका विचार जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं उसके जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव उसके उद्देश्य अभी निहित होते हैं अब कोई भी व्यक्ति अपनी स्मृति के आधार पर लिखता है क्योंकि यह व्यक्ति द्वारा स्वयं व्यक्ति द्वारा लिखी जाती हैं इसके लिए विश्वसनीय तो माना जा सकता है लेकिन यह हर किसी लेकिन यह यह किसी अन्य व्यक्ति के संबंध में आत्मकथा लिखने वाले का नजरिया होता है। आत्मकथा अपने विचारों को शब्दों के माध्यम से हो उकेरने का एक आसान माध्यम है।  

निजी पत्र और आत्मकथा किसी व्यक्ति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के सबसे विश्वसनीय स्रोत होते हैं जी पत्रों और आत्मकथा से संबंधित व्यक्ति की विचारधारा एवं उसके जीवन चरित्र के विषय में उसकी सोच का सही अनुमान लगाया जा सकता है।

सरकारी स्रोत निजी पत्रों और आत्मकथा से एकदम भिन्न होते हैं। सरकारी स्रोत सरकारी आंकड़े संकलन पर आधारित होते हैं उदाहरण के लिए ब्रिटिश सरकार राष्ट्रीय आंदोलन के समय भारतीय नेताओं पर पूरी कड़ी नजर रखती थी और सुरक्षा संस्थान द्वारा उन पर नियमित रिपोर्ट तैयार कराकर प्रकाशित करवाते थे।

सरकारी ब्यौरे से उस समय की परिस्थिति के बारे में अनुमान लगाने के लिए काम आते हैं। सरकारी ब्यौरे किसी व्यक्ति ही नहीं बल्कि पूरे परिदृश्य के तत्कालीन परिस्थिति का अनुमान लगाने में उपयोगी होते हैं। निजी पत्र में संबंधित व्यक्ति के विचारों के दर्शन होते हैं इन पत्तों में उसकी निजी बातें जानने को मिलती हैं, जिसे उसने सार्वजनिक नहीं किया हुआ होता है। यह पत्र उसके स्वभाविक विचारों की प्रस्तुति होते हैं। निजी पत्र में हम अक्सर मनोभावों को पकड़ते हैं, इसलिए निजी पत्र संबंधित व्यक्ति के मनोभावों का दर्पण होते हैं। कुछ ऐसे पत्र जो इसी विषय से संबंधित होते हैं और बड़े व्यक्तियों को आमजन या बड़े भक्ति द्वारा आमजन को लिखे जाते हैं वह पत्र जनता के लिए भी होते हैं कहने को वे पत्र निजी तो होते हैं लेकिन जनता को जानने के लिए भी होते हैं।

आत्मकथा विवरण की दृष्टि से समृद्ध दस्तावेज होता है।  यह व्यक्ति तेके संपूर्ण जीवन का लेखा जोखा होता है। जन्म स्थान उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि उसकी शिक्षा उसका विचार जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं उसके जीवन में आने वाले उतार-चढ़ाव उसके उद्देश्य अभी निहित होते हैं। अब कोई भी व्यक्ति अपनी स्मृति के आधार पर लिखता है क्योंकि यह व्यक्ति द्वारा स्वयं व्यक्ति द्वारा लिखी जाती हैं। इसके लिए विश्वसनीय तो माना जा सकता है लेकिन यह हर किसी थी यह सारा ब्योरा गुप्त रखा जाता था इन फोटो को तैयार करने वाले सरकार के अपने ही आदमी होते थे, जो कि सरकार के समर्थक होते थे और भारतीयों के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रस्त होते थे।

सरकारी ब्यौरे आवश्यक नहीं कि पूरी तरह से विश्वसनीय हों। इनका झुकाव अधिकतर सरकार के हित की तरफ ही होता था। निजी पत्र और विचार निजी पत्र और आत्मकथा सरकारी ब्यौरे की अपेक्षा अधिक थोड़े अधिक विश्वसनीय हैं इस तरह कह सकते हैं कि तीनों  तरह के स्रोत अपनी प्रकृति के अनुसार भिन्न भिन्न होते हैं।

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