निजी संपति के बारे में समाजवादी और पूंजीवादी विचारधारा के बीच दो अंतर बताए?
Answers
Explanation:
समाजवाद (Socialism) एक आर्थिक-सामाजिक दर्शन है। समाजवादी व्यवस्था में धन-सम्पत्ति का स्वामित्व और वितरण समाज के नियन्त्रण के अधीन रहते हैं। आर्थिक, सामाजिक और वैचारिक प्रत्यय के तौर पर समाजवाद निजी सम्पत्ति पर आधारित अधिकारों का विरोध करता है। उसकी एक बुनियादी प्रतिज्ञा यह भी है कि सम्पदा का उत्पादन और वितरण समाज या राज्य के हाथों में होना चाहिए। राजनीति के आधुनिक अर्थों में समाजवाद को पूँजीवाद या मुक्त बाजार के सिद्धांत के विपरीत देखा जाता है। एक राजनीतिक विचारधारा के रूप में समाजवाद युरोप में अठारहवीं और उन्नीसवीं सदी में उभरे उद्योगीकरण की अन्योन्यक्रिया में विकसित हुआ है।
Answer:
पूंजीवाद, समाजवाद और साम्यवाद ये मात्र तीन शब्द नहीं हैं बल्कि आज भारत में इनकी अपनी एक महत्ता और अर्थ है। एक स्वतंत्र लोकतंत्र के तहत आज भारत में हमारे पास अनेकों राजनैतिक दल हैं जो किसी न किसी विचार धारा से ओत प्रोत हैं। इन सभी राजनैतिक पार्टियों के घोषणापत्रों से हम उनकी विचार धारा के बारे में समूची जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। भारत के कुछ राज्य जैसे- बंगाल, केरल और त्रिपुरा ने कम्युनिस्ट पार्टियों को स्वतंत्रता के 70 साल बाद और कम्युनिस्ट देशों के पतन के बाद 30 से अधिक वर्षों तक चुनने के लिए आश्चर्यजनक रूप से संघर्ष किया है। विचार धाराएँ मानव जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। धर्मों में भी विभिन्न विचारधाराएँ होती हैं जो मानव को एक राह पर ले जाने का कार्य करती हैं जैसे बौद्ध, जैन आदि। राजनैतिक रूप से 3 विचार धाराएं प्रमुख हैं।