निजलिखित गद्यांशकाको पढ़कर दिया जाविधिका लिख्य
खेतीबारी करते. परिवार रखते भी. बालगोजिन भागांत साधु माध की सज परिभाषाओं मखरे उतरनेवाले कबीर
को साहब मानते थे. उन्हीं के गीतों को गाते. उन्ही के आदेशों पर चलते कभी उठ नहीं बोलते खरा व्यवहारा
रखते किसी से भी दो-टूक बात करने मेंस कोच नही करो - किमी रेखामयाह हंगामेललते किसी की चीज
नहीं छूते न बिना पूरव्यवहार में लाने
या नियम को कभी-कभी इतनी बारीकी तक लेशाते कि लोगों को कुतूहल
होता!-कभी वह दसरे के खेत में शौच के लिए भी नही बैठते। वहगास्थ थे लेकिन उनकी सब चीज साहब की
थी जो कुछ खेत में पैदा होता सिर पर लादकर पहले उसे साहब के दरबार में ले जाते-जो उनके घर से चार
कोस दूर पर था एक कबीरपंथी मठ से मतलज! वह दरबार में भेटा रूप रख लिया जाता प्रसाद' रूप में जो उन्हें
मितता, उसे घर लाने और उसी से गुजर चलाते
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