Hindi, asked by tejaswairagade1234, 7 months ago

नील पानी के काले पत्थरों पर पछाऽ खाने के प्रभाव​

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Answered by dxb3608413
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Explanation:

(१) नील हरित काई एक जैविक खाद है जिसे धान उत्पादक किसान अपने स्तर पर आसानी से तैयार कर सकते हैं।

(२) नील हरित काई सामान्य रूप से धान के फसल को करीब 25 से 30 किलो ग्राम प्रति हैक्टेयर नत्रजन की पूर्ति करता है।

(३) यह काई उपचार के पश्चात् प्रत्येक सीजन में अपने अवशेषों के द्वारा करीब 800 से 1200 किलो ग्राम तक सेन्द्रीय खाद प्रति हैक्टर की पूर्ति करता है जिसकी वजह से उसे खेत के मिट्टी की गुणवत्ता और उपजाऊ क्षमता कायम रहती है।

(४) नील हरित काई के द्वारा कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ स्त्रावित होता है जिससे बीजों का अंकुरण और फसलों में सामान रूप से वृद्धि होती है।

(५) लगातार 3-4 वर्षों तक यदि धान के उसी खेत में नील हरित काई का उपयोग किया जाये तो आने वाले कइ्र्र सीजन तक पुनः उपचार करने की आवश्यकता नहीं होता साथ में इस काई के उपयोग का लाभ आगामी उन्हारी फसल पर भी देखा गया है।

(६) जैविक खाद के रूप में नील हरित काई के उपयोग के फलस्वरूप अतिरिक्त उपज मिलने से करीब 400 से 500 रू. प्रति हैक्टर तक शुद्ध आमदनी होती है।

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