नालंदा में किन पांच विषयों की शिक्षा अनिवार्य थी?
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नालंदा में विभिन्न प्रकार की शिक्षाओं का सुविधा जैसे संगीत ,शिल्प, हस्तकला ,साहित्य ,ज्ञान विज्ञान, आदि
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नालंदा का शिक्षाक्रम बड़ी व्यावहारिक बुद्धि से तैयार किया गया था। मूल रूप में पाँच विषयों की शिक्षा वहाँ अनिवार्य थी-
- शब्द विद्या या व्याकरण, जिससे भाषा का सम्यक ज्ञान प्राप्त हो सके।
- हेतु विद्या या तर्कशास्त्र, जिससे विद्यार्थी अपनी बुद्धि की कसौटी पर प्रत्येक बात को परख सके।
- चिकित्सा विद्या जिसे सीखकर छात्र स्वयं स्वस्थ रह सकें एवं दूसरों को भी निरोग बना सकें।
- शिल्प विद्या, एक न एक शिल्प को सीखना यहाँ अनिवार्य था जिससे छात्रों में व्यवहारिक और आर्थिक जीवन की स्वतंत्रता आ सके।
- इसके अतिरिक्त अपनी रुचि के अनुसार लोग धर्म और दर्शन का अध्ययन करते थे।
अतिरिक्त जानकारी: विदेशों के साथ नालंदा विश्वविद्यालय का जो संबंध था, उसका स्मारक एक ताम्रपत्र खुदाई में मिला है। इससे ज्ञात होता है कि सुवर्ण दीप (सुमात्रा) के शासक शैलेन्द्र सम्राट श्री बालपुत्रदेव ने मगध के सम्राट देवपालदेव के पास अपना दूत भेजकर यह प्रार्थना की कि उनकी ओर से पाँच सौ गाँवों का दान नालंदा विश्वविद्यालय को दिया जाय। ताम्रपत्र के अनुसार नालंदा के गुणों से आकृष्ट होकर यवद्वीप के सम्राट बालपुत्र ने भगवान बुद्ध के प्रति भक्ति प्रदर्शित करते हुए नालंदा में एक बड़े विहार का निर्माण करवाया।
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