Hindi, asked by rishabhdev3, 1 year ago

निम्न के विषय में 150 शब्द लिखिए। 1_ प्रहलाद 2_विभीषण 3_जटायु ।​

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Answered by maha201
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जटायु

जटायु एक पंछी था जिसका प्रसंग रामायण में मिलता है जटायु "संपाती" का छोटा भाई था जिसने माता सीता का हरण होते समय उनकी चीखे सुनी और उनकी मदद हेतु चल दिया तब उसने पाया कि माता सीता का हरण रावण द्वारा किया जा रहा है, जिसमें उसने अपनी प्राण की चिंता को त्याग कर माता सीता की रक्षा के लिए रावण से युद्ध किया| इस युद्ध के परिणाम स्वरूप रावण ने उसके दोनों पंख काट दिए और वह वहां पर ही गिर पड़ा| जब जमीन पर गिरा, तब वह भगवान श्री राम का ध्यान करता रहा और जब भगवान श्रीराम उसे मिले तब उसने उसे उन्हें रावण की जानकारी दी जिससे भगवान श्री राम का माता सीता को ढूँढ़ने का अभियान आगे बढ़ सका| अतः जटायु समाज में उपस्थित उन सभी आदर्शों की प्रतिमूर्ति था जिसने अपने प्राणों को न्योछावर कर के भी इस समाज के समक्ष एक विधि सम्मत, नारी का सम्मान करने वाला एक अद्भुत आदर्श प्रस्तुत किया|

विभीषण

विभीषण रावण का छोटा भाई था, जिसने धर्म एवं अधर्म अर्थात भगवान राम एवं रावण के युद्ध के समय भगवान राम का साथ दिया| वह रावण के भाई होने के साथ लंका का मंत्री भी था और सीता के हरण की समय से लेकर रावण ने उससे देश निकाला की सजा ना दी तबतक उसने रावण को समझाने का प्रयास किया कि वह माता सीता को वापस भेज दे परंतु अहंकार के मद में रावण ने उसकी एक भी ना मानी एवं भगवान श्री राम से युद्ध करने लगा| युद्ध के समय भी विभीषण के द्वारा रावण के अमृत का राज पता चलने पर ही भगवान श्री राम, रावण का वध करने में सक्षम हो पाए| युद्ध के पश्चात विभीषण लंका के नरेश बने जिनका राज्याभिषेक स्वयं भगवान श्रीराम ने किया| विभीषण ने समाज के समक्ष परिवार,जाति इन सबसे ऊपर उठकर राष्ट्र को सर्वप्रथम मानने का आदर्श प्रस्तुत किया है जिसको गढ़ते हुए उसने अपने परिवार को खो दिया एवं अपने ऊपर एक कलंक लेकर भी जीता रहा|

प्रहलाद

प्रहलाद का प्रसंग विष्णु पुराण में मिलता है जिसके अनुसार प्रह्लाद हिरण्यकश्यप एवं कयाधु का पुत्र था| हिरण्यकश्यप एक अहंकारी राजा था जो भगवान को नहीं मानता था एवं अपनी प्रजा से कहता था कि वह स्वयं भगवान है इसके विरुद्ध प्रहलाद ने अपने पिता एवं राजा की आज्ञा मानने से मना कर दिया एवं कहा कि परम पिता परमेश्वर स्वयं विष्णु है एवं वह उन्ही की पूजा करेगा ना कि अपने पिता एवं राजा की पूजा करेगा| इसको लेकर राजा ने उसे कई बार समझाने का प्रयास किया परंतु उसने सत्य को नहीं ठुकराया एवं राजा की पूजा करने से मना कर दिया| इससे क्रोध में आकर हिरण्यकश्यप ने उसे कई बार मारने का प्रयास किया परंतु हर बार बच जाता था| अंत में उसने अपनी बहन होलिका को बुलाकर कहा कि वह बालक को लेकर अग्नि कुंड में बैठ जाये परंतु बुआ ने अपने प्रेम के चलते स्वयं के स्थान पर अपने भतीजे को बचा लिया एवं स्वयं उस अग्निकुंड में जल गई इसी प्रसंग को लेकर हिंदू रीति-रिवाजों में होली का त्यौहार बनाया जाता है

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