Geography, asked by varshakardam223, 8 months ago

निम्नालाश्वेतामे
से कान
सोवाथ
(D)
तीव्र दालो
पर
मृदा अपरदन को रोकने
के निशे सञ्चिक उपयुक्त है?
खा मलाचंग
(ग) वैदिका कृष
क रक्षक मेश्वला​

Answers

Answered by AayushBisht280827
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Answer:

मृदा-अपरदन अथवा भूमि-कटाव भारत की गंभीर समस्या है। मृदा अपरदन के कारण मिट्टी की ऊपरी उपजाऊ सतह का क्षय होने लगता है। मृदा-अपरदन का अर्थ है मृदा कणों का किसी भी वाह्य कारणों जैसे तेज हवा, वर्षा या भूस्खलन द्वारा मिट्टी का स्थानान्तरण होना।

परिचय

मृदा पृथ्वी की सबसे ऊपरी परत है जो कि जीवन बनाये रखने में सक्षम है। किसानों के लिये मृदा का बहुत अधिक महत्व होता है, क्योंकि किसान इसी मृदा से प्रत्येक वर्ष स्वस्थ व अच्छी फसल की पैदावार पर आश्रित होते हैं। बहते हुए जल या वायु के प्रवाह द्वारा मृदा के पृथक्कीकरण तथा एक स्थान से दूसर स्थान तक स्थानान्तरण को ही मृदा अपरदन से प्रभावित लगभग 150 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्रफल है जिसमें से 69 मिलियन हैक्टेयर क्षेत्रफल अपरदन की गंभीर स्थिति की श्रेणी में रखा गया है। मृदा की ऊपरी सतह का प्रत्येक वर्ष अपरदन द्वारा लगभग 5334 मिलियन टन से भी अधिक क्षय हो रहा। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 57% भाग मृदा ह्रास के विभिन्न प्रक्ररों से ग्रस्त है। जिसका 45% जल अपरदन से तथा शेष 12% भाग वायु अपरदन से प्रभावित है। हिमाचल प्रदेश की मृदाओं में जल अपरदन एक प्रमुख समस्या है।

Explanation:

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