Biology, asked by AmbikaPal, 5 months ago

निम्न पर टिप्पणी लिखो 1) जीनविनिमय 2) अर्द्धसुत्री विभाजन का महत्व दिजिए ​

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Answered by Anonymous
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Explanation:

गुणसूत्रों पर स्थित डी.एन.ए. (D.N.A.) की बनी वो अति सूक्ष्म रचनाएं जो अनुवांशिक लक्षणों का धारण एवं उनका एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरण करती हैं, जीन (gene) वंशाणु या पित्रैक कहलाती हैं।

जीन, डी एन ए के न्यूक्लियोटाइडओं का ऐसा अनुक्रम है, जिसमें सन्निहित कूटबद्ध सूचनाओं से अंततः प्रोटीन के संश्लेषण का कार्य संपन्न होता है। यह अनुवांशिकता के बुनियादी और कार्यक्षम घटक होते हैं। यह यूनानी भाषा के शब्द जीनस से बना है।

जीन आनुवांशिकता की मूलभूत शारीरिक इकाई है। यानि इसी में हमारी आनुवांशिक विशेषताओं की जानकारी होती है जैसे हमारे बालों का रंग कैसा होगा, आंखों का रंग क्या होगा या हमें कौन सी बीमारियां हो सकती हैं। और यह जानकारी, कोशिकाओं के केन्द्र में मौजूद जिस तत्व में रहती है उसे डी एन ए कहते हैं। जब किसी जीन के डीएनए में कोई स्थाई परिवर्तन होता है तो उसे म्यूटेशन याउत्परिवर्तन कहा जाता है। यह कोशिकाओं के विभाजन के समय किसी दोष के कारण पैदा हो सकता है या फिर पराबैंगनी विकिरण की वजह से या रासायनिक तत्व या वायरस से भी हो सकता है।

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Answered by jahanvisharma2910200
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Answer:

अर्द्धसूत्री विभाजन का महत्व

1. अर्द्ध सूत्री विभाजन लैंगिक जनन करने वाले जीवों में गुणसूत्रों की संख्या निश्चित बनायें रखता है। 2. इस विभाजन में जिन विनिमय होने के कारण जातियों में आनुवांशिक परिवर्तन उत्पन्न होते है , इस विभाजन के द्वारा जीव धारियों में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आनुवांशिक विभिन्नताएँ बढती जाती है।

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