निम्न श्लोकानि पठित्वा तेषाम् अन्वय लेखनं मञ्जूषायाः सहायतया कुरुत- (निम्न श्लोकों को पढ़कर उनका अन्वय मंजूषा की सहायता से लिखिए-)
(क) प्राणिति पवनेन जगत् सकलं, सृष्टिर्निखिला चैतन्यमयी।
क्षणमपि न जीव्यतेऽनेन विना, सर्वातिशायिमूल्यः पवनः॥
अन्वय : पवनेन सकलं (i) …………………….. प्राणिति, निखिला (ii) …………………….. चैतन्यमयी (अस्ति)। सर्वा (iii)…………………….. पवनः अनेन विना (iv) …………………….. अपि न जीव्यते।
मजुषा: क्षणं, जगत्, सृष्टि:, अतिशायिमूल्य:
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