निम्न दोहे का संदर्भ व प्रसंग सहित भाव लिखिए ।
माला तो कर में फिरै, जीभि फिरै मुख माँहि ।
मनुवा तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं ।।
Attachments:
Answers
Answered by
0
Answer:
Explanation:
कबीर ने इस दोहे में धार्मिक ढकोसले को चिन्हित करते हुए मन को साफ़ और निश्छल बनाने को कहते हैं. कबीर ने इस दोहे में कहा हैं कि केवल मोतियों की माला लम्बे समय तक हाथ में फेर लेने से मन के भाव और अशांति ठीक नहीं होती हैं. कबीर ने ऐसे व्यक्ति को सलाह देते हुआ कहा हैं कि माला फेरना छोड़कर मन को मोतियों में बदलों
Mark me brainliest
Thank you
Similar questions