Hindi, asked by eyokire786, 3 months ago

निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर प्रश्न बनाइए- (Read the following paragraph and frame questions.)
)
मुझे पहले से ही मालूम था कि राजमार्ग के किनारे पेड़ के नीचे एक बीमार आदमी पड़ा है। मैं स्वयं उसे यहाँ
लाकर उसकी सेवा करना चाहता था। इतने में ये नौजवान आ गए और मैंने इनकी परख कर ली। यंत्र की तरह
रसायन बनाने वाला युवक मेरे काम के लिए उपयोगी नहीं था। जिसने मानव बनकर मानव की सेवा की, वही मेरे
काम के लायक था।
(क)
(ख)
(ग)
(घ)
(ङ)
Any please​

Answers

Answered by chaithanyah529
0

Answer:

कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन माना है।

रैदास के स्वामी निराकार प्रभु हैं। वे अपनी असीम कृपा से नीच को भी ऊँच और अछूत को महान बना देते हैं।

रैदास अपने प्रभु के अनन्य भक्त हैं, जिन्हें अपने आराध्य को देखने से असीम खुशी मिलती है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।

सोने व सुहागे का आपस में घनिष्ठ संबंध है। सुहागे का अलग से अपना कोई अस्तित्व नहीं है। किंतु जब वह सोने के साथ मिल जाता है तो उसमें चमक उत्पन्न कर देता है।

कवि ने ‘गरीब निवाजु’ अपने आराध्य प्रभु को कहा है, क्योंकि उन्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे जाने वाले और अछूत कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँचा स्थान मिल सकता है।

रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ में अपने आराध्य के नाम की रट की आदत न छोड़ पाने के माध्यम से कवि ने अपनी अटूट एवं अनन्य भक्ति भावना प्रकट की है। इसके अलावा उसने चंदन-पानी, दीपक-बाती आदि अनेक उदाहरणों द्वारा उनका सान्निध्य पाने तथा अपने स्वामी के प्रति दास्य भक्ति की स्वीकारोक्ति की है।

कवि रैदास ने अपने पद ‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ में सामाजिक छुआछूत एवं भेदभाव की तत्कालीन स्थिति का अत्यंत मार्मिक एवं यथार्य चित्र खींचा है। उन्होंने अपने पद में कहा है कि गरीब एवं दीन-दुखियों पर कृपा बरसाने वाला एकमात्र प्रभु है। उन्होंने ही एक ऐसे व्यक्ति के माथे पर छत्र रख दिया है, राजा जैसा सम्मान दिया है, जिसे जगत के लोग छूना भी पसंद नहीं करते । समाज में निम्न जाति एवं निम्न वर्ग के लोगों को तिरस्कारपूर्ण दृष्टि से देखा जाता था, ऐसे समाज में प्रभु ही उस पर द्रवित हुए।

कवि द्वारा नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन आदि संत कवियों का दिया गया उदाहरण दर्शाता है कि लोग निम्न जाति के लोगों के उच्च कर्म पर विश्वास भी मुश्किल से करते थे। इसलिए कवि को उदाहरण देने की आवश्यकता पड़ी। इन कथनों से तत्कालीन समाज की सामाजिक विषमता की स्पष्ट झलक मिलती है।

वे केवल झूठी प्रशंसा या स्तुति नहीं चाहते।

वे जाति प्रथा या छुआछुत को महत्व नहीं देते। वे समदर्शी हैं।

उनके लिए भावना प्रधान है। वे भक्त वत्सल हैं।

दीन दुखियों व शोषितों की विशेष रूप से सहायता करते हैं। वे गरीब नवाज हैं।

वे किसी से डरते नहीं हैं, निडर हैं।

Answered by anubhavkumaryadav123
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Answer:

क=उसे पहले से कया पता था?

ख= इतने मे कौन आ गया?

ग= यंत्र की तरह रसायन बनाने वाला आदमी काम के लिए कया नहिं था?

घ= वह खुद उस आदमी को उठाकर कया करना चाहता था?

५=इस कहानी से हमें कया सीख मिलति है?

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