४८. निम्नलिखित अपठित गद्यांश को पढ़कर एक-तिहाई भाग में सारांश लिखकर उचित शीर्षक दीजिए : समय परिवर्तनशील है । प्रतिक्षण नई-नई घटनाएँ आती-जाती रहती है । आज जो राजा है, वह कल रंक दिखाई पड़ता है, आज उन्नति के शिखर पर आरुढ़ है, कल उसे अवनति के गर्त में देखते तथा आज जो विजेता है, कल उसे दूसरों के नतमस्तक पाते हैं । कालचक्र महाबलवान है । इसके सामने बड़े-बड़े बलवान घुटने टेक देते है । उसकी शक्ति के सामने अच्छे-अच्छे लोग मुँह की खाते है । जिसको यह अनुकूल होता है । उससे संसार थर्रा जाता है । जिसको यह प्रतिकूल होता है । उसको दुनिया में कोई ठिकाना नहीं मिलता । समय निरन्तर बदलता रहता है । उसकी तेज रफ्तार को रोकने की किसी में सामर्थ्य नहीं। यह किसी के लिए रुकता नहीं है । जो इसकी गति जानते है, जो इसके अनुकूल अपने को मोड़ लेते है, वे सदैव बढ़ते है और जो पिछड़ जाते है, वे नष्ट हो जाते है अथवा अधोगति पड़े रह जाते है ।
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वह गद्यांश जिसका अध्ययन हिंदी की पाठ्यपुस्तक में नहीं किया गया है अपठित गद्यांश कहलाता है। परीक्षा में इन गद्यांशों से विद्यार्थी की भावग्रहण क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
अपठित गद्यांश को हल करने संबंधी आवश्यक बिंदु
विद्यार्थी को गद्यांश ध्यान से पढ़ना चाहिए ताकि उसका अर्थ स्पष्ट हो सके।
तत्पश्चात् गद्यांश से संबंधित प्रश्नों का अध्ययन करें।
फिर इन प्रश्नों के संभावित उत्तर गद्यांश में खोजें।
प्रश्नों के उत्तर गद्यांश पर आधारित होने चाहिए।
उत्तरों की भाषा सहज, सरल व स्पष्ट होनी चाहिए।
( गत वर्षों में पूछे गए प्रश्न )
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