निम्नलिखित अपठित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों मे से छांटकर दीजिए – (5) किस भाँति जीना चाहिए, किस भाँति मरना चाहिए, सो सब हमें निज पूर्वजों से ज्ञात करना चाहिए। पद-चिह्न उनके यत्नपूर्वक खोज लेना चाहिए। निज पूर्व गौरव दीप को बुझने न देना चाहिए। आओ मिलें सब देश-बांधव हार बनकर देश के, साधक बनें सब प्रेम से सुख-शांतिमय उद्देश्य के। क्या सांप्रदायिक भेद से है ऐक्य मिट सकता, अहो, बनती नहीं क्या एक माला विविध सुमनों की कहो। प्राचीन हों कि नवीन, छोड़ो रूढ़ियाँ जो हों बुरी, बनकर विवेकी तुम दिखाओ हंस की-सी चातुरी। । प्राचीन बातें ही भली हैं- यह विचार अलीक है, जैसी अवस्था हो जहाँ, वैसी व्यवस्था ठीक है। मुख से न होकर चित्त से देशानुरागी हो सदा, हैं सब स्वदेशी बंधु, उनके दुख-भागी हो सदा। देकर उन्हें साहाय्य भरसक सब विपत्ति व्यथा हरो, निज दुख से ही दूसरों के दुख का अनुभव करो।
कवि की दृष्टि से क्या ठीक है? *
(i) जैसी स्थिति हो, उसके अनुसार कार्य करें
(ii) बुरी रूढ़ियों को छोड़ दें
(iii) प्राचीन बातें ही ठीक हैं, उन्हीं को अपनाएँ
(iv) प्राचीन बातों को छोड़कर, नवीन बातों को अपनाएँ
निम्नलिखित में से कौन-सा कार्य करने के लिए कवि ने नहीं कहा है? *
(i) वाणी से नहीं मन से देशप्रेमी बनो
(ii) सभी देशवासियों के दुख में साथ दो
(iii) दूसरों के कष्ट और व्यथा को हरो
(iv) दूसरों के दुख से ही अपने दुख का अनुभव करो
'आओ मिलें सब देश-बांधव हार बनकर देश का' पंक्ति का क्या आशय है? *
(i) सारे देशवासी एक- -दूसरे के गले में हार डालें
(ii) देश पर फूलों का हार चढ़ाएँ
(iii) सभी देशवासी भेद-भाव छोड़कर एक हो जाएँ (iv) इनमें से कोई नहीं
प्रस्तुत काव्यांश का उचित शीर्षक होना चाहिए- *
(i) जीने की कला
(ii) सच्ची देशभक्ति
(iii) देश के लिए त्याग
(iv) देश सेवा
अपने पूर्वजों से हमें क्या पता करना चाहिए? *
(i) उनके पद-चिह्नों का पता
(ii) उन लोगों ने कैसे अपना जीवन गुजारा
(iii) जीने-मरने की कला
(iv) उनकी अच्छी बातें
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