निम्नलिखित भाव पल्लवन कीजिये
"मान्यताएँ बदलकर हम अपना सिर मुंडा रहे हैं।
"विश्व एक बौद्धिक समाज में परिवर्तित हो रहा ह।"
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हमारा देश विभिन्न भाषाओं एवं विभिन्न जातियों वाला देश है और यहां पर हर एक धर्म हर एक जाति की अलग-अलग मान्यताएं हैं अलग-अलग रीति रिवाज है अगर हम अपने इन अभिन्न अंगों को बदलकर पश्चिमी सभ्यता के साथ में फोन लगाएंगे जिस कारण हमारी मान्यताएं पीछे छूट जाएंगे और हम अपने पूर्वजों को क्या जवाब देंगे इसीलिए हमें अपनी मान्यताओं का सम्मान कर कर हमेशा सही कदम उठाना चाहिए ना तो हमें इन मान्यताओं को बदलने की कोशिश करना चाहिए क्योंकि इन्हीं मान्यताओं में हमारे अंदर का हर्ष और उल्लास रूपी मर्म छीपा है
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