निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनिए।
समस्याएंँ वस्तुतः जीवन का पर्याय हैं। यदि समस्याएँ ना हों, तो आदमी प्राय: अपने को निष्क्रिय समझने लगेगा। ये समस्याएँ वस्तुतः जीवन की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। समस्या को सुलझाते समय, उसका समाधान करते समय, प्रत्येक व्यक्ति का श्रेष्ठतम तत्त्व उभरकर आता है। धर्म ,दर्शन, ज्ञान, मनोविज्ञान इन्हीं प्रयत्नों की देन हैं। पुराणों में अनेक कथाएँ यह शिक्षा देती हैं कि मनुष्य जीवन की हर स्थिति में जीना सीखे व समस्या उत्पन्न होने पर उसके समाधान खोजे। जो व्यक्ति जितना उत्तरदायित्व पूर्ण कार्य करेगा, उतना ही उसके समक्ष समस्याएँ आएँगी । प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लाती है और संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। संघर्ष से डरना और उससे विमुख होना मानवता और मनुष्य के स्वविकास के लिए अहितकर है।
प्रश्न -व्यक्ति का श्रेष्ठतम तत्त्व कब सामने आता है?
समस्याओं को सुलझाते समय
हारने पर
डरने पर
चलते समय
Answers
Answer:
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनिए।
समस्याएंँ वस्तुतः जीवन का पर्याय हैं। यदि समस्याएँ ना हों, तो आदमी प्राय: अपने को निष्क्रिय समझने लगेगा। ये समस्याएँ वस्तुतः जीवन की प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। समस्या को सुलझाते समय, उसका समाधान करते समय, प्रत्येक व्यक्ति का श्रेष्ठतम तत्त्व उभरकर आता है। धर्म ,दर्शन, ज्ञान, मनोविज्ञान इन्हीं प्रयत्नों की देन हैं। पुराणों में अनेक कथाएँ यह शिक्षा देती हैं कि मनुष्य जीवन की हर स्थिति में जीना सीखे व समस्या उत्पन्न होने पर उसके समाधान खोजे। जो व्यक्ति जितना उत्तरदायित्व पूर्ण कार्य करेगा, उतना ही उसके समक्ष समस्याएँ आएँगी । प्रत्येक समस्या अपने साथ संघर्ष लाती है और संघर्ष के गर्भ में विजय निहित रहती है। संघर्ष से डरना और उससे विमुख होना मानवता और मनुष्य के स्वविकास के लिए अहितकर है।
प्रश्न -व्यक्ति का श्रेष्ठतम तत्त्व कब सामने आता है?
समस्याओं को सुलझाते समय
हारने पर
डरने पर
चलते समय
Explanation:
Answer:
first option is true
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plz mark as brainllest