निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर उत्तर पुस्तिका में लिखिए -
भारतीय दर्शन सिखाता है कि जीवन का एक आशय और लक्ष्य है, उस आशय की खोज हमारा दायित्व है और अंत में उस लक्ष्य को प्राप्त कर लेना, हमारा विशेष अधिकार है। इस प्रकार दर्शन जो
कि आशय को उद्घाटित करने की कोशिश करता है और जहाँ तक उसे इसमें सफलता मिलती है, वह इस लक्ष्य तक अग्रसर होने की प्रक्रिया है। कुल मिलाकर आखिर यह लक्ष्य क्या है?
इस अर्थ में यथार्थ की प्राप्ति वह है जिसमें पा लेना, केवल जानना नहीं है, बल्कि उसी का अंश हो जाना है। इस उपलब्धि में बाधा क्या है ? बाधाएँ कई हैं। पर इनमें प्रमुख है - अज्ञान ।
अशिक्षित आत्मा नहीं है, यहाँ तक कि यथार्थ संसार भी नहीं है। यह दर्शन ही है जो उसे शिक्षित करता है और अपनी शिक्षा से उसे उस अज्ञान से मुक्ति दिलाता है, जो यथार्थ दर्शन नहीं होने देता।
इस प्रकार एक दार्शनिक होना एक बौद्धक अनुगमन करना नहीं है, बल्कि एक शक्तिप्रद अनुशासन पर चलना है, क्योंकि सत्य की खोज में लगे हुए सही दार्शनिक को अपने जीवन को इस प्रकार
आचरित करना पड़ता है ताकि उस यथार्थ से एकाकार हो जाय जिसे वह खोज रहा है। वास्तव में, यही जीवन का एकमात्र सही मार्ग है और सभी दार्शनिकों को इसका पालन करना होता है, और दार्शनिक
ही नही, बल्कि सभी मनुष्यों को, क्योंकि सभी मनुष्यों के दायित्व और निर्यात एक ही हैं।
भारतीय दर्शन किस लक्ष्य की ओर संकेत करता है ?
(1) (क) यथार्थ की प्राप्ति कर लेना
(ख) जीवन का एक आशय और लक्ष्य है
(ग) यथार्थ के साथ एकाकार हो जाना
(घ) शिक्षित हो जाना |
(2) लक्ष्य प्राप्त करने में प्रमुख बाधा क्या है ?
(क) अशिक्षित होना
(ख) ज्ञान का अभाव
(ग) यथार्थ दर्शन
(घ) अनुशासन हीनता
(3) जीवन का एक मात्र उद्देश्य क्या है ?
(क) एक शक्तिप्रद अनुशासन पर चलना
(ख) बौद्धक अनुगमन करना
(ग) शिक्षित होना
(घ) अज्ञान से मुक्त होना
(4) 'अनुशासन' शब्द में उपसर्ग का सही विकल्प है
(क) अन + उशासन
(ख) अ + नुशासन
(ग) अनु + शासन
(घ) अनुशा + सन
(5) इस गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक है -
(क) जीवन दर्शन
(ख) दार्शनिकता
(ग) सत्य की खोज
(घ) भारतीय दर्शन
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Answer:
1. (क) यथार्थ की प्राप्ति कर लेना
2. (क) अशिक्षित होना
3. (ग) शिक्षित होना
4. (ग) अनु + शासन
5. (घ) भारतीय दर्शन
Explanation:
- भारतीय दर्शन सिखाता है कि जीवन का एक आशय और लक्ष्य है, उस आशय की खोज हमारा दायित्व है I अंत में उस लक्ष्य को प्राप्त कर लेना, हमारा विशेष अधिकार है।
- इस उपलब्धि में बाधा क्या है ? बाधाएँ कई हैं। पर इनमें प्रमुख है - अज्ञान ।
- यह दर्शन ही है जो उसे शिक्षित करता है और अपनी शिक्षा से उसे उस अज्ञान से मुक्ति दिलाता है, जो यथार्थ दर्शन नहीं होने देता।
- पहली पंक्ति से, हम शीर्षक देख सकते हैं।
इस प्रकार यह उत्तर है।
#SPJ2
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