निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
सचमुच हैरान करती है काशी-पक्का महाल से जैसे मलाई बर्फ गया, संगीत-साहित्य और
अदब की बहुत सारी परम्पराएँ लुप्त हो गयी। एक सच्चे सुर साधक और सामाजिक व्यक्ति
की भांति विस्मिल्ला खाँ साहब को इन सबकी कमी खलती है। काशी में जिस तरह बाबा
विश्वनाथ और बिस्मिल्ला खाँ एक दूसरे से पूरक रहें है, उसी तरह मुहर्रम-ताजिया और
होली-अबीर गुलाल की गंगा-जमुनी संस्कृति भी एक दूसरे के पूरक रहे हैं। काशी आज भी
संगीत के स्वर पर जागती है और उसी की थापों पर सोती है। काशी में मरण भी मंगल
माना गया है। काशी आनंद-कानन है।)
(क) गंगा-जमुनी संस्कृति' से आप क्या समझते है ?
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